Devnagri Lipi Kya Hai – लिखित ध्वनि-चिह्नों (ध्वनि-संकेतों) को लिपि कहते हैं। जिन ध्वनि-संकेतों के माध्यम से किसी भाषा को लिखा जाता है, उन्हें उस भाषा की लिपि कहते हैं। लेकिन क्या आप जानते है देवनागरी लिपि किसे कहते हैं? अगर नहीं तो आइये जानते है देवनागरी लिपि किसे कहते हैं (Devnagri Lipi Kise Kahate Hain) –
देवनागरी लिपि क्या है इन हिंदी (Devnagri Lipi Kya Hai In Hindi)
देवनागरी लिपि हिंदी भाषा की लिपि है। किसी भाषा की मूल ध्वनियों के लिए चिन्ह के एक विशिष्ट समूह को लिपि कहा जाता है। भारत की मुख्य भाषा हिंदी है और हिंदी भाषा को लिखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चिन्ह के विशिष्ट समूह को देवनागरी लिपि कहा जाता है।
आरंभ में मनुष्य ने अपने विचारों के आदान-प्रदान के लिए भाषा को जन्म दिया और भाषा को एक स्थायी रूप देने की आवश्यकता हुई, जिसके कारण लिपि का निर्माण हुआ।
वास्तव में लिपि के विकास के चार चरण हैं – प्रतीक लिपि, चित्र लिपि, भाव लिपि, ध्वनि लिपि। हमारी हिंदी भाषा की देवनागरी लिपि ध्वनि आधारित लिपि है। प्रत्येक भाषा में अलग-अलग अक्षर (वर्ण) होते हैं और जिस रूप में वे अक्षर (वर्ण) लिखे जाते हैं उसे लिपि कहते हैं।
देवनागरी लिपि का ब्राह्मी लिपि से विकास हुआ, जो सर्वप्रथम गुप्त लिपि, फिर बाद में कुटिल लिपि और आखिर में 10वीं शताब्दी में देवनागरी लिपि के रूप में विकसित हुई।
देवनागरी लिपि का नामकरण
देवनागरी लिपि के नामकरण के बारे में कई मत हैं, जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं:
कुछ विद्वान इसे नागरी लिपि कहते हैं, क्योंकि यह गुजरात के नागर ब्राह्मणों की लिपि है।
कुछ अन्य विद्वानों के अनुसार, इसे नागरी लिपि इसलिए कहते हैं, क्योंकि यह नागर की लिपि है।
एक अन्य मत के अनुसार, इसे नागरी इसलिए कहते थे, क्योंकि यह नागवंशी राजाओं की लिपि थी।
वास्तुकला की एक शैली नागर शैली थी, जिसमें चतुर्भुज आकृतियाँ होती थीं।
नागरी लिपि में चतुर्भुज अक्षर ग, प, भ, म आदि हैं। इसलिए इसे देवनागरी लिपि कहा गया।
वास्तव में, ये सभी मत अनुमान पर आधारित हैं, इसलिए इनकी प्रामाणिकता संदिग्ध है।
इस संबंध में केवल इतना ही कहा जा सकता है कि देवनागरी लिपि का विकास ब्राह्मी लिपि से हुआ है। ब्राह्मी लिपि की उत्तरी शाखा को नागरी कहा जाता था, जो बाद में देवभाषा संस्कृत से जुड़ गई, परिणामस्वरूप नागरी का नाम देवनागरी हो गया।
देवनागरी लिपि का विकास इन हिंदी – DevanagariLipi Ka Vikas
देवनागरी लिपि का पहला प्रयोग गुजरात राज्य के जयभट्ट नामक राजा के एक शिलालेख से प्राप्त होता है। 8वीं शताब्दी में राष्ट्रकुल के राजाओं में भी यह लिपि प्रचलित हुआ करती थी और 9वीं शताब्दी में बड़ौदा के ध्रुवराज द्वारा भी अपने शाही फरमानों में इस लिपि का इस्तेमाल किया गया था।
भारत के अधिकांश क्षेत्रों में देवनागरी लिपि प्रचलित रही है। मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात आदि प्रांतों में उपलब्ध शिलालेखों, ताम्रपत्रों, हस्तलिखित प्राचीन ग्रंथों में देवनागरी लिपि का सबसे ज्यादा प्रयोग हुआ है।
आज जो देवनागरी की वर्णमाला प्रचलित है, वह 11वीं शताब्दी में स्थिर हो गई और 15वीं शताब्दी तक इसमें एक सौन्दर्यात्मक रूप भी शामिल हो गया।
8वीं शताब्दी ई. में प्रचलित देवनागरी लिपि में अक्षरों (वर्णो) की शिरोरेखाएं दो भागों में विभाजित (विभक्त) थीं, जो 11वीं शताब्दी के दौरान मिलकर एक हो गयी।
11वीं शताब्दी की यह लिपि वर्तमान में भी प्रचलन में है और इसका उपयोग हिंदी, संस्कृत, मराठी भाषाएँ लिखने में किया जा रहा है। देवनागरी लिपि पर कुछ अन्य लिपियों का भी प्रभाव पड़ा है।
उदाहरण के लिए, गुजराती लिपि में शिरोरेखा नहीं होती, आज भी बहुत से लोग लिखते समय देवनागरी में शिरोरेखा का उपयोग नहीं करते। इसी प्रकार अंग्रेजी रोमन लिपि में प्रचलित विराम चिह्नों को भी देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी ने अपना लिया है।
देवनागरी लिपि लिखने और बोलने में कोई अंतर नहीं
देवनागरी लिपि में मणिपुरी, गुजराती, पंजाबी, रोमन, बिष्णुपुरिया, उर्दू भाषाएँ भी लिखी जाती हैं। इस लिपि का सबसे पहला उल्लेख जैन ग्रंथों में 453 ई. में मिलता है। इसे वर्णमाला (अक्षरात्मक) लिपि भी कहते हैं क्योंकि इस लिपि में अक्षरों की पूरी व्यवस्था बनाई गई है। दुनिया में प्रचलित सभी लिपियों में से देवनागरी या ब्राह्मी लिपि को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सबसे पूर्ण और सही माना जाता है। इस लिपि को लिखने और उच्चारण करने में कोई अंतर नहीं है। जो बोला जाता है, उसे उसी के अनुसार लिखा जाता है।
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FAQs
देवनागरी लिपि की परिभाषा क्या है?
देवनागरी लिपि हिंदी भाषा की लिपि है। किसी भाषा की मूल ध्वनियों के लिए चिन्ह के एक विशिष्ट समूह को लिपि कहा जाता है। भारत की मुख्य भाषा हिंदी है और हिंदी भाषा को लिखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले चिन्ह के विशिष्ट समूह को देवनागरी लिपि कहा जाता है।