कल कौन सी तिथि है (कल की तिथि क्या है) – Kal Kya Tithi Hai | Tomorrow Tithi In Hindi

Kal Ki Tithi Kya Hai – हिंदू पंचांग, वैदिक पंचांग के नाम से जाना जाता है, जिसके माध्यम से समय और काल की सटीक गणना की जाती है। मुख्य रूप से पंचांग पाँच भागों से बना है। पंचांग के पाँच भाग में शामिल है – तिथि, नक्षत्र, वार, योग, करण। इस लेख में दैनिक पंचांग के माध्यम से आज हम आपको शुभ मुहूर्त, अशुभ मुहूर्त राहुकाल, सूर्योदय व सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति सहित हिंदू मास और पक्ष आदि के बारे में जानकारी देते रहेंगे। तो आइये जानते है कल क्या तिथि है (Kal Kya Tithi Hai) –

कल कौन सी तिथि है (कल की तिथि क्या है) (Kal Ki Tithi Kya Hai / Kal Kaun Si Tithi Hai)

कल की तिथि – 05 अक्टूबर, 2024 शनिवार – आश्विन कृष्ण पक्ष तृतीया (अहोरात्र)

आज 05 अक्टूबर, 2024 शनिवार: व्रत, त्यौहार, खास दिन – – तृतीया व्रत, विश्व शिक्षक दिवस, वरिष्ठ नागरिक दिवस, राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस

कल की तिथि (Tomorrow Tithi In Hindi)

हिंदू पंचांग में तिथियां काल गणना का अहम भाग होती हैं। तिथियों के मुताबिक ही हिन्दू धर्म में व्रत और त्योहार तय किए जाते हैं। कोई भी शुभ काम करने से पहले शुभ तिथियां देखी जाती हैं।

  • विक्रमी संवत् – 2081
  • शक संवत – 1944
  • मास – आश्विन
  • तिथि – तृतीया (अहोरात्र)
  • पक्ष – शुक्ल
  • वार – शनिवार
  • सूर्योदय – 16:17
  • सूर्यास्त – 18:01
  • चंद्रमा – तुला
  • नक्षत्र – स्वाती  (21:33 तक)
  • करण – प्रथम – तैतिल (18:42 तक), द्वितीय – गर (अहोरात्र तक)
  • योग – विष्कुम्भ (30:08 तक)
  • राहुकाल – 09:13-10:41
  • शुभ मुहूर्त – अभिजीत (11:45-12:32)

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पांच प्रकार की होती हैं तिथियां, किसमें कौन-सा कार्य करना रहता है शुभ

हर हिंदू महीने में 15-15 दिन का शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष होता है। प्रतिपदा से पंद्रहवीं तिथि तक हर पक्ष की एक संख्या होती है। प्रतिपदा से पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष की एक संख्या होती है और प्रतिपदा से अमावस्या तक कृष्ण पक्ष की एक संख्या होती है। इस प्रकार दोनों पक्षों में 15-15 दिन होते हैं। अब इनमें से कुछ तिथियां शुभ मानी जाती हैं, जबकि कुछ अशुभ। अशुभ तिथियों पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

हिंदू शास्त्रों के अनुसार तिथियों को मुख्य रूप से पांच भागों में बांटा गया है। ये पांच भाग हैं नंदा, भद्रा, जया, रिक्ता और पूर्णा। क्रम से पहली तिथि यानी प्रतिपदा नंदा, द्वितीया भद्रा, तृतीया जया, चतुर्थी रिक्ता और पंचमी पूर्णा होगी। इसके बाद फिर षष्ठी नंदा, सप्तमी भद्रा… यह क्रम चलता रहेगा।

किस तिथि को करें कौन सा कार्य

नंदा तिथि – प्रतिपदा तिथि, षष्ठी तिथि और एकादशी तिथि नंदा तिथि होती हैं। इन निम्न तिथियों पर व्यापार शुरू किया जा सकता है। भवन निर्माण कार्य शुरू करने के लिए ये तिथियां श्रेष्ठ मानी गई हैं।

भद्रा तिथि – द्वितीया, सप्तमी और द्वादशी को भद्रा तिथि कहते हैं। इन तिथियों पर धान, अनाज लाना, गाय-भैंस, वाहन खरीदना जैसे कार्य करने चाहिए। इसमें खरीदी गई वस्तुओं की संख्या बढ़ जाती है।

जया तिथि – तृतीया तिथि, अष्टमी तिथि, त्रयोदशी तिथि जया तिथि कहलाती हैं। इन निम्न तिथियों पर कोर्ट केस निपटाना, सैन्य शक्ति संग्रह, वाहन खरीदना, शस्त्र खरीदना जैसे काम कर सकते हैं।

रिक्ता तिथि – चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी को रिक्ता तिथि कहते हैं। इन तिथियों पर गृहस्थों को कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। ये तिथियां तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए शुभ मानी गई हैं।

पूर्णा तिथि – पंचमी, दशमी और पूर्णा को पूर्णा तिथि कहा जाता हैं। इन तिथियों पर सगाई, भोज, विवाह आदि किए जा सकते हैं।

शून्य तिथि – उपरोक्त पांच प्रकार की तिथियों के अलावा कुछ तिथियां शून्य तिथियां मानी जाती हैं। इन तिथियों पर विवाह नहीं किये जाते। अन्य कार्य किये जा सकते हैं। ये तिथियां हैं- वैशाख कृष्ण नवमी, चैत्र कृष्ण अष्टमी, ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्दशी, ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी, आषाढ़ कृष्ण षष्ठी, भाद्रपद कृष्ण प्रतिपदा एवं द्वितीया, श्रावण कृष्ण द्वितीया एवं तृतीया, आश्विन कृष्ण दशमी एवं एकादशी, कार्तिक कृष्ण पंचमी एवं शुक्ल चतुर्दशी, अगहन कृष्ण सप्तमी एवं अष्टमी, पौष कृष्ण चतुर्थी एवं पंचमी, माघ कृष्ण पंचमी एवं माघ शुक्ल तृतीया।

FAQs

हिंदी पंचांग के अनुसार तिथि क्या है?
तिथि एक दिन है या एक दिन को तिथि कहा गया है, जो पंचांग के आधार पर उन्नीस घंटे से छब्बीस घंटे तक का होता है। एक चंद्र मास में 30 तिथियाँ होती हैं जिन्हें दो भागों में विभाजित किया जाता है। शुक्ल पक्ष में एक से चौदह तिथियाँ होती हैं और फिर अमावस्या होती है। इसी तरह कृष्ण पक्ष में एक से चौदह तिथियाँ होती हैं और फिर पूर्णिमा होती है।

हिन्दू तिथि के नाम क्या है?
हिन्दू तिथि के नाम इस प्रकार है – प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया तिथि, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी तिथि, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी तिथि, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या/पूर्णिमा तिथि।

 

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