हिंदी नैतिक कहानियां हिंदी में | Hindi Short Story In Hindi With Moral

Hindi Short Stories In Hindi With Moral – नैतिक कहानियाँ बच्चों को भविष्य में एक बेहतर इंसान बनाने में मददगार साबित होती है। ये कहानियाँ सभी बच्चों के लिए बहुत प्रेरणादायक होती हैं। सभी नैतिक कहानियों में बच्चों के लिए हमेशा कोई न कोई सीख छिपी होती है। तो आइये जानते है हिंदी नैतिक कहानियां हिंदी में (Hindi Short Story In Hindi With Moral) –

हिंदी नैतिक कहानियां हिंदी में | Hindi Short Stories In Hindi With Moral

1) भूखा शेर

एक बार की बात है, गर्मी का मौसम था और एक शेर बहुत भूखा था, इसलिए वह भोजन की तलाश में जंगल में इधर-उधर घूमने लगा। कुछ देर बाद घूमते-घूमते शेर को एक खरगोश दिखाई दिया, लेकिन उसने उसे खाने की बजाय छोड़ दिया, क्योंकि शेर को वह खरगोश बहुत छोटा लगा।

फिर शेर थोड़ा आगे गया और उसकी नजर एक हिरण पर पड़ी, वह हिरण बहुत मोटा और स्वस्थ था। जिसके बाद शेर ने उसका पीछा किया लेकिन क्योंकि वह काफी देर से भोजन की तलाश कर रहा था, वह बहुत थक गया था, जिसके कारण हिरण उसकी पकड़ में नहीं आया।

जब शेर को खाने के लिए कुछ नहीं मिला, तो वह निराश हो गया और उसी खरगोश को खाने के बारे में विचार करने लगा, और जब शेर उसी जगह वापस पंहुचा, तो उसे वहां उसे खरगोश भी नहीं मिला और अब शेर बहुत दुखी हो चूका था और उसे इस बात का पछतावा भी बहुत हो रहा था।

सीख – बहुत अधिक लालची होना लाभदायक नहीं है।

2) घमण्डी चूहा

बंटी नाम का एक चूहा बहुत होशियार था। वह एक जंगल में रहता था। उसने अपने लिए एक छोटा सा घर भी बनाया था। वही जंगल के पास एक घर था, जिसमें एक छोटा बच्चा रहता था। उस बच्चे के पास जूते थे, लेकिन वे छोटे पड़ गए थे, जिसे उस लड़के ने फेंक दिए थे।

बंटी चूहा उस जूते को देखकर ओह, ये जूते बहुत अच्छा हैं, मैं इसमें आराम से सो सकता हूँ।

बंटी चूहा एक जूता घसीटकर अपने घर ले आता है। दूसरा जूता लाने की उसकी हिम्मत नहीं होती, इसलिए वह उसे साफ करता है और सोने के लिए एक अच्छा बिस्तर बनाता है, वह उसे फूलों से सजाता है।

जंगल के दूसरे जानवर उसे देखने आते थे। जब जानवर उसे देखने आते तो बंटी चूहा बड़े शरारती अंदाज में जूते पर चढ़कर बैठ जाता था।

एक दिन एक शरारती कबूतर बंटी से मिलने आया। शरारती कबूतर बोला, बंटी भाई, तुमने घर को बहुत खूबसूरती से सजाया है, और इस जूते ने इसे और भी खूबसूरत बना दिया है।

बंटी चूहा – सुनो भाई, बुरी नजर मत लगाना, बड़ी मुश्किल से इसे सजाया है। तुम जैसे लोगों ने इसे बुरी नजर लगा दी है, तो यह खराब हो जाएगा।

शरारती कबूतर – भाई, मैं तुम्हें बधाई देने आया था लेकिन लगता है तुम्हारा घमंड तो सातवें आसमान पर है।

बंटी चूहा – मुझे किसी की बधाई की जरूरत नहीं है। मैं जानता हूं कि तुम सब मुझसे जलते हो क्योंकि तुम बाहर ठंड बर्दाश्त करते हो और मैं इस जूते में आराम से सोता हूं।

शरारती कबूतर बिना कुछ बोले वापस उड़ जाता है। अब बंटी चूहा दिन भर इधर-उधर घूमता और खाना खाता और रात को अपने जूते में सोता।

धीरे-धीरे बंटी चूहे ने जंगल के सभी जानवरों से बात करना बंद कर दिया। अब उसका कोई दोस्त भी नहीं था, धीरे-धीरे समय बीतने लगा।

एक दिन रात को जंगल में तेज बारिश होने लगी। इन सब से बेखबर बंटी चूहा अपने जूते में आराम से सो रहा था। उसे बाहर के मौसम का पता नहीं था।

बारिश का पानी बढ़ने लगा। जूते के तले में छेद हो गया। जिससे जूते में पानी भरने लगा, कुछ ही देर में जूते में बहुत पानी भर गया। तब बंटी चूहा की नींद खुली, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

पानी बढ़ रहा था। उसे लगा कि अब वह मर जाएगा। बंटी चूहा जोर-जोर से चिल्लाने लगा, लेकिन बारिश की आवाज के कारण किसी ने उसकी आवाज नहीं सुनी।

बंटी चूहा को अपनी मौत साफ दिखाई दे रही थी। वह जोर-जोर से कूदने लगा। कूदते समय वह जूते से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। लेकिन जूता इतना लंबा था कि वह बाहर नहीं निकल पा रहा था।

एक शरारती कबूतर अपने बच्चों के साथ दूर एक घोंसले में बैठा था।

शरारती कबूतर – बच्चों, लगता है कोई चिल्ला रहा है, कोई मुसीबत में है।

वह बाहर आया और देखा कि आवाज उस जूते से आ रही थी। वह तुरंत समझ गयी कि बंटी चूहा जूते में फंसा हुआ है।

शरारती कबूतर बिना किसी देरी के किसी तरह वहां गया, और जूते पर बैठ गया। उसने देखा कि बंटी चूहा डूब रहा है।

बंटी चूहा – भाई कबूतर, मुझे बचा लो नहीं तो मैं मर जाऊंगा।

शरारती कबूतर – क्यों, तुम्हें इस जूते के अलावा और कुछ नहीं चाहिए था।

बंटी चूहा – भाई, मुझे बचा लो, मैं घमंडी हो रहा था, मुझे माफ कर दो।

यह सुनकर शरारती कबूतर ने उसे अपनी चोंच से पकड़ लिया और खींचने लगा। लेकिन बंटी चूहा बहुत भारी था, शरारती कबूतर उसका वजन नहीं उठा पा रहा था।

शरारती कबूतर – भाई, रुको, मैं बाकी जानवरों को बुलाता हूँ।

शरारती कबूतर जंगल में चला जाता है, लेकिन सभी जानवर बंटी चूहे की मदद करने से मना कर देते हैं।

रास्ते में उसे कालू कौआ मिलता है, वह उसके साथ आता है। दोनों मिलकर बंटी चूहे का एक पैर अपनी चोंच में पकड़कर उड़ जाते हैं और उसे ऊपर रख देते हैं।

बंटी चूहे को अपने किए पर बहुत पछतावा होता है। अगले दिन वह जूते को खींचकर उल्टा कर देता है। उसमें से उसका पानी निकल जाता है। इसके बाद वह उस जूते को घसीटकर नदी में फेंक देता है।

यह देखकर शरारती कबूतर और कालू कौआ बहुत खुश होते हैं। फिर बंटी चूहा सभी जानवरों के पास जाता है और सभी से माफ़ी मांगता है।

सीख – हमें कभी भी अहंकारी नहीं होना चाहिए. अहंकार आकर हम अपना ही नुकसान कर बैठते है।

3) हाथी के दोस्त

एक बार की बात है, एक जंगल में एक हाथी रहता था। एक दिन वह एक नए जंगल में रहने गया और वह दोस्त बनाने के लिए एक और हाथी की तलाश कर रहा था।

वह सबसे पहले एक बंदर के पास गया और उस बंदर से बोला, “नमस्ते बंदर भाई! क्या तुम मेरे दोस्त बनना चाहोगे?” बंदर ने कहा- “तुम मेरी तरह झूल नहीं सकते, इसलिए मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन पाऊंगा।”

इसके बाद हाथी एक खरगोश के पास गया और उससे पूछा, “खरगोश, क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?” खरगोश ने जवाब दिया, “तुम मेरे बिल में फिट होने के लिए बहुत बड़े हो, इसलिए मैं तुमसे दोस्ती नहीं कर सकता।

उसके बाद, एक दिन जंगल में सभी जानवर इधर उधर बहुत तेजी से भाग रहे थे। यह देखकर हाथी दौड़कर एक भालू के पास पंहुचा और पूछा कि इस भागने के पीछे क्या कारण है? भालू ने कहा कि जंगल का शेर शिकार के लिए बाहर गया है और वह खुद को बचाने के लिए भाग रहे है।

ऐसे में हाथी शेर के पास गया और बोला कि महाराज, कृपया इन मासूम जानवरों को तकलीफ न दें, इन्हें अकेला छोड़ दें और इन्हें जीने का मौका दें।

इस पर शेर ने हाथी का मजाक उड़ाया और हाथी को एक तरफ जाने को कहा। तब हाथी को गुस्सा आ गया और उसने शेर को अपनी पूरी ताकत से शेर को धक्का दे दिया, जिससे शेर घायल हो गया और तुरंत वहां से भाग निकला।

अब बाकी सभी जानवर बाहर आ गए और शेर की हार का मज़ाक उड़ाने लगे। वे हाथी के पास आए और सभी ने मिलकर हाथी से कहा कि तुम्हारा आकार हमारा दोस्त बनने के लिए एकदम सही है।

सीख – किसी भी व्यक्ति का आकार उसके मूल्य निर्धारित नहीं कर सकता।

4) भेड़िया और सारस

एक समय की बात है, एक बहुत भूखा-प्यासा भेड़िया जंगल में इधर उधर भटक रहा था। काफी देर तक भूख-प्यास में भटकने के बाद भेड़िये की नजर शिकार के लिए एक पक्षी पर पड़ी, जिसे भेड़िये ने मारकर खा लिया। जब भेड़िया पक्षी को खा रहा था, तो पक्षी की एक हड्डी भेड़िये के गले में अटक गई।

बहुत कोशिश करने के बाद भी हड्डी भेड़िये के गले से बाहर नहीं निकल रही थी। गले में हड्डी चुभने से परेशान भेड़िया इधर-उधर भटकने लगा, उसे किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो उसके गले से हड्डी निकाल सके। लेकिन कोई भी जानवर उसकी मदद करने को तैयार नहीं था।

जब भेड़िया काफी देर तक जंगल में भटकता रहा, तो भेड़िये को सहारा मिला। उसने सारी परेशानी उस सारस को बताई। उसके बाद सारस ने कहा, भाई भेड़िया, अगर मैं तुम्हारी मदद करूँ, तो तुम मुझे क्या दोगे, जिस पर भेड़िये ने जवाब दिया, अगर तुम हड्डी निकालने में मेरी मदद करोगे, तो मैं तुम्हें एक बहुमूल्य इनाम दूँगा।

इस पर लालची सारस को लालच आ जाता है, जिसके बाद लालची सारस पूरी जी-जान से भेड़िये के गले से हड्डी निकालने की कोशिश करने लगता है। सारस अपनी बहुत लंबी चोंच भेड़िये के मुंह में डालता है और गले में फंसी हड्डी निकालने की कोशिश करता है, जिसमें वह कामयाब भी हो जाता है। जैसे ही सारस गले में फंसी हड्डी बाहर निकालता है, भेड़िया बहुत खुश हो जाता है और वह उछल-कूद कर नाचने लगता है, जिस पर सारस भेड़िये से पूछता है कि अब तुम मुझे क्या नाम दोगे? इस पर भेड़िया कोई जवाब नहीं देता है, सारस भी समझ जाता है कि भेड़िये ने उससे झूठ बोला है और भेड़िया वहां से जाने लगता है।

उसी समय भेड़िया, सारस से कहता है कि सारस, अपनी गर्दन मेरे मुंह में डालने के बावजूद भी तुम अभी जिन्दा हो, यही तुम्हारा इनाम है, यह सुनकर सारस को बहुत दुख होता है।

सीख – हमें स्वार्थी लोगों का साथ नहीं देना चाहिए, जीवन में स्वार्थी लोगो से हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

5) हाथी और दर्जी की कहानी

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक दर्जी रहता था और उसके पास ही जंगल में एक बूढ़ा हाथी रहता था। हाथी बहुत दयालु था और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता था।

एक दिन हाथी गांव में खाना खाने आया। लेकिन दर्जी ने हाथी की सूंड में सुई चुभो दी।सुई बहुत तीखी होने के कारण हाथी को बहुत दर्द और नुकसान उठाना पड़ा। हाथी बहुत परेशान हो जाता है और दर्जी को सबक सिखाने के लिए अपने मन में कुछ सोचने लगता है।

तभी हाथी को एक तरकीब सूझती है और वह एक गंदे तालाब के किनारे जाता है और अपनी सूंड में बहुत सारा गंदा पानी भरकर लाता है और वह अपनी सूंड का सारा पानी दर्जी और दर्जी की दुकान पर मौजूद साफ कपड़ों पर फेंक देता है और उसकी दुकान गंदी हो जाती है और दर्जी के सारे कपड़े खराब हो जाते हैं।

जिससे दर्जी बहुत दुखी हो जाता है और उसे समझ आ जाता है, उसके बाद दर्जी हाथी से माफी मांगता है और हाथी को अकेले में खाना खिलाता है, हाथी फिर से जंगल की ओर चल पड़ता है।

सिख – किसी का भी बुरा नहीं करना चाहिए क्योंकि बुराई हमेशा वापस आती है।

6) सुनहरे सेब देने वाला पेड़

एक जंगल के पास दो भाई रहते थे, उनमें से बड़ा भाई छोटे भाई के साथ बहुत बुरा व्यवहार करता था। जैसे वह हर दिन छोटे भाई का सारा खाना खा जाता था और छोटे भाई के नए कपड़े भी पहनता था।

एक दिन बड़े भाई ने फैसला किया कि वह पास के जंगल में जाएगा और कुछ लकड़ियाँ लाएगा, जिसे वह बाद में कुछ पैसों के लिए बाजार में बेचेगा।

जैसे ही वह जंगल में गया, उसने वहाँ कई पेड़ काटे, फिर एक के बाद एक पेड़ काटते समय उसकी नज़र एक जादुई पेड़ पर पड़ी।

पेड़ ने विनम्रता से कहा, हे दयालु महोदय, कृपया मेरी शाखाओ को मत काटिये। अगर तुम मुझे छोड़ दोगे तो मैं तुम्हें एक सुनहरा सेब दूँगा। वह उस समय तो मान गया, लेकिन उसके मन में लालच पैदा हो गया। उसने पेड़ को धमकी दी कि अगर उसने उसे और सेब नहीं दिए तो वह पूरा तना काट देगा। इसलिए जादुई पेड़ ने बड़े भाई को सेब देने के बजाय उस पर सैकड़ों सुइयां बरसा दीं। इससे बड़ा भाई ज़मीन पर लेटा दर्द से कराहने लगा।

अब धीरे-धीरे दिन ढलने लगा, जबकि छोटे भाई को चिंता होने लगी। इसलिए वह अपने बड़े भाई की तलाश में जंगल में गया। उसने देखा कि बड़ा भाई पेड़ के पास दर्द से लेटा हुआ था, उसके शरीर पर सैकड़ों सुइयां चुभ गई थीं। उसके दिल में दया आ गई, वह अपने भाई के पास गया, और प्यार से धीरे-धीरे एक-एक सुई निकाली।

बड़ा भाई यह सब देख रहा था और खुद पर गुस्सा हो रहा था। अब बड़े भाई ने छोटे भाई से उसके साथ बुरा व्यवहार करने के लिए माफ़ी मांगी और बेहतर व्यवहार करने का वादा किया। पेड़ ने बड़े भाई के दिल में बदलाव देखा और उसे वे सभी सुनहरे सेब दे दिए, जिनकी उसे भविष्य में ज़रूरत पड़ने वाली थी।

सीख – सभी को हमेशा दयालु और सभ्य रहना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों को हमेशा पुरस्कृत किया जाता है।

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