Abhimanyu Kiska Putra Tha – महाभारत में अभिमन्यु ही एकमात्र ऐसा योद्धा था जिसने छोटी सी उम्र में ही बड़े-बड़े योद्धाओं को युद्ध के मैदान में धूल चटा दी थी। युद्ध में अभिमन्यु की वीरता और पराक्रम के किस्से आज भी जगजाहिर हैं। दुर्योधन, शकुनि, कर्ण, दुशासन, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य जैसे महारथी मिलकर भी अभिमन्यु का सामना करने का साहस नहीं जुटा पाए। यही कारण है कि अभिमन्यु को मारने के लिए कई महारथियों ने मिलकर उसे कई सैनिकों के साथ चक्रव्यूह में फंसाकर मार डालने का घृणित कार्य किया। इतना ही नहीं, कोई पांडव उसकी मदद के लिए न आ सके, इसके लिए पांचों पांडवों और महारथियों को वहां से काफी दूर युद्ध के मैदान में उलझाए रखा गया। तो आइये अब जानते है अभिमन्यु किसका पुत्र था –
अभिमन्यु किसका पुत्र था इन हिंदी | Abhimanyu Kiska Putra Tha In Hindi
अभिमन्यु महाभारत के अर्जुन व सुभद्रा के पुत्र थे। सुभद्रा श्री बलराम व श्री कृष्ण की बहन थीं। वीरयोद्धा अभिमन्यु को चंद्रदेव का पुत्र भी कहते है क्योंकि सभी देवताओं ने अपने पुत्रों को अवतार के रूप में धरती पर भेजा था। लेकिन चंद्र देवता ने कहा कि वह अपने पुत्र से अलग नहीं हो सकते और कहा कि उनके पुत्र को मानव रूप में केवल सोलह वर्ष की आयु दी जाए।
अभिमन्यु की मृत्यु 16 वर्ष की आयु में कुरुक्षेत्र में हुई थी। महाभारत का एक महत्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु द्वापर युग में सबसे कम उम्र में पिता बन गया था, उसके पुत्र का नाम परीक्षित था। अभिमन्यु एक महान योद्धा था जिसने चक्रव्यूह के सात में से छह द्वार तोड़ दिए थे। अभिमन्यु ने गर्भ में ही चक्रव्यूह को सुनकर उसे तोड़ने की कला सीख ली थी लेकिन वह इसे पूरी तरह से नहीं सीख सका था।
अभिमन्यु का पुत्र कौन था, अभिमन्यु के पुत्र का नाम – Abhimanyu Ke Putra Ka Naam
महाभारत में अभिमन्यु एक बहुत ही महत्वपूर्ण पात्र है। अभिमन्यु के पुत्र का नाम परीक्षित है। परीक्षित वही राजा हैं जिन्होंने कलियुग को मुकुट में स्थान दिया और तक्षक नाग के डसने से उनकी मृत्यु हो गई।
अभिमन्यु का विवाह मत्स्य राज्य के राजा विराट की पुत्री उत्तरा से हुआ था। अभिमन्यु और उत्तरा का विवाह उपप्लव्य नामक नगर में हुआ था। अभिमन्यु की मृत्यु के बाद अभिमन्यु के पुत्र का जन्म हुआ। कुरुक्षेत्र में चक्रव्यूह तोड़ते समय अभिमन्यु की मृत्यु हो गई। महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला और लड़ते हुए अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए।
राजा परीक्षित अर्जुन के पौत्र और अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र हैं। इसके अलावा परीक्षित राजा जन्मेजय के पिता भी हैं। जब परीक्षित को तक्षक नाग ने डस लिया और उनकी मृत्यु हो गई, तो उनके पुत्र जन्मेजय ने सांपों के विनाश के लिए एक महायज्ञ का आयोजन किया। जिसमें दुनिया के कई जहरीले और दुष्ट सांपों का नाश किया गया। परीक्षित और मद्रवती के सात बच्चे हुए, जन्मेजय राजा परीक्षित के सबसे छोटे पुत्र थे। हिंदू धर्म में चार परीक्षित राजाओं का वर्णन मिलता है, इन चार में से एक इक्ष्वाकु वंश के थे, बाकी शेष तीन कुरु वंश से थे।
अभिमन्यु के गुरु कौन थे (Abhimanyu Ke Guru Kaun The)
अभिमन्यु के गुरु उनके मामा यानी वासुदेव थे। कृष्ण अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु के गुरु थे। अर्जुन अपने भाइयों के साथ वन और वनवास में रहे, इसलिए इस दौरान सुभद्रा भगवान कृष्ण के साथ द्वारका में रहती थीं। भगवान कृष्ण अपने भांजे को सभी तरह के अस्त्र-शस्त्र विद्या सिखा रहे थे, इसके अलावा अभिमन्यु अपने मामा यानी अपने गुरु श्री कृष्ण से राजनीति का ज्ञान भी सीख रहे थे। अभिमन्यु अपनी उम्र के हिसाब से बहुत शक्तिशाली थे। अभिमन्यु के शक्ति कौशल से कई अच्छे योद्धा परिचित थे।
चंद्रमा के पुत्र वर्चा के अंश अभिमन्यु और रखी थी यह शर्त
अभिमन्यु के जन्म की भी विचित्र कथा है। कौरव और पांडव सभी देवता के अंश थे। अभिमन्यु का धरती पर अवतार चंद्रमा के पुत्र वर्चा के रूप में हुआ था। वर्चा के जन्म के समय चंद्रमा ने कहा था कि वे अपने प्रिय पुत्र को दूर नहीं भेजना चाहते, लेकिन इस कार्य से पीछे हटना उचित नहीं लगता। राक्षसों का वध करना भी हमारा काम है, इसलिए मेरा पुत्र वर्चा मनुष्य अवश्य बनेगा, लेकिन अधिक समय तक वहां नहीं रहेगा। इंद्र के अंश से नरावतार अर्जुन का जन्म होगा, जिसकी नारायणावतार श्रीकृष्ण से मित्रता होगी और मेरा पुत्र अर्जुन का पुत्र होगा।
युद्ध भूमि में नर और नारायण की अनुपस्थिति में मेरा पुत्र चक्रव्यूह को तोड़ देगा और भीषण युद्ध करके युद्ध भूमि में योद्धाओं को चकित कर देगा। पूरे दिन युद्ध करने के बाद वह वीरगति को प्राप्त होगा और शाम को मेरे पास आएगा। उसकी पत्नी से उत्पन्न पुत्र कुरु वंश को आगे ले जाएगा। इस समय सभी देवताओं ने चंद्रमा के कथन का अनुमोदन किया। इस तरह कुरु वंश को आगे बढ़ाने के लिए पृथ्वी पर अभिमन्यु का जन्म हुआ।