अयोध्या राम मंदिर का इतिहास, अयोध्या राम मंदिर किसने बनवाया था – History Of Ayodhya Ram Mandir

अयोध्या राम मंदिर किसने बनवाया था – अयोध्या नगरी में प्रभु श्री राम मंदिर के लिए संघर्ष लगभग पांच शताब्दियों तक चला रहा, जिसमें सैकड़ो – हजारों लोगों ने अपनी जान भी गंवाई। राम मंदिर के लिए लड़ते हुए कई राजवंश नष्ट हो गए और भगवान राम की जन्मभूमि की रक्षा में कई योद्धा शहीद हो गए। तो आइये जानते है राम मंदिर का इतिहास कितना पुराना है, अयोध्या राम मंदिर का इतिहास / राम मंदिर अयोध्या हिस्ट्री (History Of Ayodhya Ram Mandir In Hindi)

अयोध्या राम मंदिर किसने बनवाया था (Ayodhya Ram Mandir History In Hindi)

तीर्थ नगरी अयोध्या को सत्ययुग में वैवस्वत मनु ने बसाया था। यहीं पर भगवान श्री राम का जन्म हुआ था, जिसका उल्लेख वाल्मीकि की रामायण में भी मिलता है। वर्षों तक चले राम राज्य के बाद जब श्री राम ने जल समाधि ले ली तो अयोध्या नगरी वीरान हो गई। तीर्थ नगरी अयोध्या को सत्ययुग में वैवस्वत मनु ने बसाया था। भगवान श्री राम का जन्म यहीं हुआ था, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रामायण में भी मिलता है। कई वर्षों तक राम के राज्य करने के बाद जब श्री राम ने जल समाधि ले ली तो अयोध्या नगरी वीरान (सूनी) हो गई।

कहा जाता है कि भगवान श्री राम के जल समाधि लेने के बाद अयोध्या कुछ समय के लिए वीरान हो गई थी, लेकिन उनकी जन्मभूमि पर बना महल वैसा ही रहा। भगवान श्री राम जी के कुश नामक पुत्र द्वारा एक बार पुन: राजधानी अयोध्या का पुनर्निर्माण करवाया गया था। इस निर्माण के पश्चात सूर्यवंश (Suryvansh) की अगली 44 पीढ़ियों तक बृहद्बल नामक अंतिम राजा महाराजा तक इसका अस्तित्व अपने चरम पर बना रहा। महाभारत युद्ध में अभिमन्यु के हाथों कौशलराज बृहद्बल की मृत्यु हो गई। महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या वीरान हो गई, लेकिन प्रभि श्री राम जन्मभूमि का अस्तित्व फिर भी बना ही रहा।

दूसरा बार बना मंदिर –

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब उज्जैन के राजा विक्रमादित्य यहां शिकार के लिए आए तो उन्हें बंजर भूमि पर कुछ चमत्कार दिखने लगे, खोज करने पर उन्हें पता चला कि यह श्री राम की अवध भूमि है। जिसके बाद उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने यहां प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसमें काले रंग के कसौटी पत्थर वाले 84 स्तंभ लगे हुए थे।

समय-समय पर राजाओं ने यहां मंदिर की देखभाल की, लेकिन 14वीं शताब्दी में जब भारत पर मुगलों का शासन था, तब श्री राम जन्मभूमि को नष्ट कर दिया गया और वहां बाबरी मंजीद का निर्माण किया गया। 1525 में बाबर के सेनापति मीर बांकी ने राम जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त कर दिया था।

बाबरी मस्जिद में तीन गुंबद थे, जिसके बाहर एक चबूतरे पर श्री राम के बाल रूप की पूजा की जाती थी। इसे राम चबूतरा कहा जाता था, लेकिन बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के ठीक नीचे की ओर वर्ष 1949 में वही मूर्ति प्राप्त हुई थी, जो राम चबूतरे पर सदियों से विराजमान रही थी।

बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि मंदिर को लेकर सालों तक चले विवाद के बाद आखिरकार भगवान राम की जन्मभूमि पर प्राण प्रतिष्ठा हो गयी। राम मंदिर के लिए कुल 67 एकड़ जमीन है, जिसमें से 2 एकड़ पर मंदिर बनाया गया है। पहले मंदिर के मुख्य शिखर की ऊंचाई 128 फीट थी, अब यह 161 फीट हो चुकी है, और पांच गुंबद और एक मुख्य शिखर मौजूद है।

इन शासकों ने भी निभाई है महत्वपूर्ण भूमिका

राजा विक्रमादित्य के बाद गुप्त काल के राजाओं और गहड़वाल राजाओं ने भी अयोध्या के विकास में सबसे ज्यादा योगदान दिया है। विदेशी लेखक हैंस बेकर की किताब में भी इसका जिक्र किया गया है। लेखक हैंस बेकर ने अपनी किताब में श्री रामजन्मभूमि, अयोध्या और राजा विक्रमादित्य के बारे में लिखा है। जिसमें बताया गया है कि यह धार्मिक स्थल कैसे और कितनी दूरी पर मौजूद है।

राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या की, की थी खोज

राजा विक्रमादित्य ने राजा राम की अयोध्या की खोज की थी, लेकिन बाद में बाबर के सेनापति मीर बाक़ी ने मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद बनवा दी। जिसके बाद मुगल सेना ने यहां नमाज़ अदा करना शुरू कर दिया। फिर राजस्थान के राजा ने मस्जिद के बगल में राम चबूतरा बनवाया। जिसके बाद हिंदू राम चबूतरे पर पूजा करते थे और मुसलमान मस्जिद में नमाज़ अदा करते थे।

इसके बाद मुगल शासन खत्म हो गया और ब्रिटिश साम्राज्य का उदय हुआ। तब हिंदू पक्ष ने दावा किया कि यह उनका मंदिर है। इसके बाद अंग्रेजों ने इस मस्जिद की एएसआई जांच करवाई, जिसमें वहां मंदिर के निशान मिले। जांच में एएसआई की टीम को मस्जिद की नींव में फूल और मंदिर के हिस्से मिले। जिसके बाद मामला कोर्ट में चला गया। जहां 2019 में सुप्रीम कोर्ट से आदेश के बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया।

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