करवा चौथ की रात को पति पत्नी क्या करते हैं – कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है, इसे महिलाओं के लिए सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को वे सोलह श्रृंगार करके पूजा करती हैं और फिर रात को चांद की पूजा करने के बाद व्रत खोलती हैं, लेकिन रात की पूजा में पति की अहम भूमिका होती है। तो आइये जानते है –
करवा चौथ की रात को पति-पत्नी क्या करते हैं (Karva Chauth Ki Raat Ko Pati Patni Kya Karte Hain)
करवा चौथ की रात को पत्नी चांद को देखने के बाद ही अपना व्रत खोलती है। करवा चौथ की रात को पति-पत्नी दोनों नए और शुद्ध कपड़े पहनते हैं। रात में जब चांद छत पर या खुले मैदान में निकलता है तो पति-पत्नी दोनों साथ खड़े होते हैं। चांद देखने के बाद पत्नी अर्घ्य देती है और पूजा करती है। वह छलनी में चांद के साथ पति को भी देखती है, जिसके बाद पति पत्नी को करवा से पानी पिलाता है और फिर उसे कुछ खिलाकर उसका यह व्रत तोड़ता है। इसके बाद दोनों परिवार के साथ मिलकर खाना खाते हैं। इस रात पति अपनी पत्नी को कोई उपहार देता है।
करवा चौथ के दिन शारीरिक संबंध बनाना चाहिए (Karva Chauth Ke Din Sharirik Sambandh Banana Chahiye)
धर्म के जानकार कहते हैं कि करवा चौथ व्रत के दिन दंपत्तियों को शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए, इस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। यहां तक कि इस दिन इस तरह के विचार भी अपने मन या दिमागी में नहीं आने देना चाहिए। व्रत में इस तरह के कृत्य वर्जित माने गए हैं।
हिंदू धर्म के शास्त्रों में भी लिखा है कि चाहे कोई भी व्रत हो, करवा चौथ, तीज या नवरात्रि का महापर्व, इन दिनों में किसी भी पुरुष या महिला का मन में गलत विचार आना गलत है।
इस व्रत पर महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। वहीं इस व्रत के दौरान पूरी तरह से साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है। क्योंकि यह व्रत भगवान गणपति को समर्पित है। इस दिन गणपति के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है। जो नियम अन्य व्रतों पर लागू होते हैं, वही नियम करवा चौथ पर भी लागू होते हैं। इसलिए किसी भी धार्मिक कार्य और किसी भी व्रत में शारीरिक संबंध बनाना या पति-पत्नी का एक-दूसरे के करीब आना वर्जित है।
ऐसा कहा जाता है कि अगर कोई दंपत्ति व्रत के दौरान शारीरिक संबंध बनाता है तो वह पाप का भागीदार बन जाता है। ऐसा करने से व्रती का व्रत खंडित हो जाता है, क्योंकि रात 12 बजे के बाद वही तिथि और वही दिन मान्य होगा। ऐसा करने से गजानन नाराज हो सकते हैं।
करवा चौथ व्रत विधि (Karva Chauth Vrat Vidhi Hindi Mein)
करवा चौथ का व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति द्वारा दिए गए कपड़े पहनती हैं और पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रहती हैं और रात को चांद को अर्ध्य के बाद ही अपना व्रत खोलती हैं। चांद को अर्ध्य देने के बाद महिला अपने पति के हाथों से पानी पीती हैं। इसके बाद ही व्रत पूरा माना जाता है। अगर महिला चांद देखने से पहले व्रत खोल लेती है तो यह व्रत टूट जाता है। आपको बता दें कि इस व्रत में भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
करवा चौथ व्रत की मान्यता –
करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा महाभारत काल से शुरू हुई थी। कहा जाता है कि सबसे पहले द्रौपदी ने पांडवों की जान बचाने के लिए श्री कृष्ण की सलाह पर यह करवा चौथ रखा था। द्रौपदी द्वारा करवा चौथ का व्रत रखने की वजह से पांडवों के प्राणों को कोई हानि नहीं पहुंची थी। इसलिए कहा जाता है कि हर विवाहित महिला को अपने पति की रक्षा और लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखना चाहिए। साथ ही इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन में खुशियां आती हैं और आपसी संबंध मधुर बनते हैं।
करवा चौथ का महत्व –
मान्यता के अनुसार अगर कोई महिला सम्पूर्ण विधि-विधान के साथ इस व्रत को रखती है तो उसके पति की आयु लंबी होती है और उसे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। साथ ही सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन महिलाओं को सोलह श्रृंगार करके व्रत का पारण करना चाहिए और करवा चौथ व्रत कथा सुननी चाहिए। व्रत की शुरुआत सास द्वारा दी गई सरगी खाकर और उनका आशीर्वाद लेकर करनी चाहिए, ताकि दांपत्य जीवन और घर में स्नेह और प्रेम बना रहे।
शास्त्रों-पुराणों मे करवा चौथ के बारे में क्या लिखा है?
करवा चौथ का व्रत वर्षों से चला आ रहा है। जैसा कि शास्त्रों और पुराणों में वर्णित है कि यह व्रत जीवन साथी के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना से किया जाता था।
1) कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि इस व्रत को रखने का अधिकार केवल विवाहित महिलाओं को ही है। किसी भी आयु, जाति, रंग, संप्रदाय, सभी की महिलाओं को यह व्रत रखने का अधिकार है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सौभाग्य की कामना के लिए यह व्रत रखती हैं।
2) मान्यता के अनुसार, यह व्रत बारह से सोलह वर्षों तक लगातार हर साल रखा जा सकता है। अवधि पूरी होने के बाद इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। हां, यह भी जान लें कि जो सुहागिन महिलाएं इस व्रत को आजीवन रखना चाहती हैं, वे इसे आजीवन कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यशाली कोई दूसरा व्रत नहीं है।
3) कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्र उदय व्यापिनी चतुर्थी की रात्रि में अर्थात जिस चतुर्थी को चंद्रमा दिखाई दे, उस दिन प्रातः स्नान करके अपने पति की दीर्घायु, स्वास्थ्य और सौभाग्य के लिए संकल्प लें और पूरे दिन व्रत रखें।
4) करवा चौथ वाले दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करें। पूजा अर्चना के लिए बालू या सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर सभी देवताओं को स्थापित करें।
5) शुद्ध घी में आटा सेंककर उसमें चीनी या मिश्री मिलाकर लड्डू और नैवेद्य बनाएं।
6) वैसे तो बाजार में सब कुछ उपलब्ध है, लेकिन अगर संभव हो तो आप काली मिट्टी में चीनी की चाशनी मिलाकर उस मिट्टी से बने करवे या तांबे के बर्तन का उपयोग करें तो बहुत अच्छा रहेगा।