नाबार्ड क्या है, नाबार्ड का फुल फॉर्म इन हिंदी, नाबार्ड के प्रमुख कार्य और उद्देश्य – NABARD Ka Full Form In Hindi

NABARD Kya Hai In Hindi – नाबार्ड का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है। नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई 1982 को ‘विकास सहायता’ और ‘गरीबी में कमी’ लाने के लिए की गई थी। आज के इस लेख में आप जानेंगे की नाबार्ड क्या है, नाबार्ड का फुल फॉर्म, और नाबार्ड के प्रमुख कार्य क्या है? तो आइये जानते है नाबार्ड इन हिंदी (NABARD In Hindi / NABARD Kya Hai) –

नाबार्ड का पूरा नाम क्या है, नाबार्ड का फुल फॉर्म इन हिंदी (NABARD Ka Full Form In Hindi)

नाबार्ड का पूरा नाम – नेशनल एग्रीकल्चर एन्ड रूरल डेवलपमेंट बैंक है, जिसे हिंदी में ष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक कहा जाता है।

नाबार्ड क्या है इन हिंदी (NABARD Kya Hai In Hindi)

नाबार्ड एक विकास बैंक है, जो वर्तमान में पूर्ण रूप से भारत सरकार के स्वामित्व में है। विकास बैंक के रूप में, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग, ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्प जैसे विभिन्न व्यवसायों से संबंधित आर्थिक गतिविधियों के प्रचार और विकास के लिए ऋण के साथ-साथ अन्य सुविधाएं प्रदान करता है।

नाबार्ड एकीकृत ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और उससे जुड़ी गतिविधियों को विकसित, बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए ऋण के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी प्रदान करता है।

भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसलिए इसकी एक बहुत बड़ी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है, जो कृषि और कृषि से जुड़े काम करके अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं।

आज भले ही ग्रामीण इलाकों में भी बैंकों की थोड़ी बहुत पहुंच हो गई हो, लेकिन जब 1982 में नाबार्ड की स्थापना हुई थी। उस समय ग्रामीण भारत में बैंकिंग सेवाएं या तो उपलब्ध नहीं थीं, या अगर थीं भी तो बहुत सीमित थीं।

ग्रामीण भारत की इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए 5 नवंबर 1982 को राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि विकास बैंक की स्थापना की गई थी। वर्तमान में नाबार्ड ग्रामीण भारत में कृषि से जुड़े व्यवसायों, आधुनिक कृषि कार्यों में इस्तेमाल होने वाली मशीनरी और उपकरणों और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई सब्सिडी योजनाएं चला रहा है। यह बैंक भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन काम करता है।

आज भी नाबार्ड नाम के इस बैंक के जरिए सरकार ग्रामीण इलाकों में कृषि से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा देने के लिए खेती से जुड़े प्रोजेक्ट शुरू करने की कुल लागत के एक बड़े हिस्से पर सब्सिडी देती है। ताकि किसानों में उद्यमिता की भावना जागृत हो सके और ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर सृजित हो सकें।

नाबार्ड की स्थापना और उद्देश्य

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था पहले वस्तु विनिमय पर अधिक निर्भर थी। इसलिए उन लोगों को संस्थागत ऋण आदि की कम आवश्यकता थी, लेकिन जैसे-जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में एक-दूसरे पर निर्भरता कम होने लगी, वस्तु विनिमय भी कम होने लगा। इसलिए अब जब भी उन्हें ऋण आदि की आवश्यकता होती थी, तो वे साहूकारों आदि से ऋण ले लेते थे।

इसके बाद ऋण वसूली के नाम पर ऋण लेने वाले का शोषण किया जाता था। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नाबार्ड की यह योजना शुरू की गई थी। लेकिन इससे पहले भारत सरकार के अनुरोध पर भारतीय रिजर्व बैंक ने कृषि और ग्रामीण विकास की समीक्षा के लिए एक समिति बनाई थी।

यह समिति 30 मार्च 1979 को श्री बी. शिवरामन की अध्यक्षता में बनाई गई थी, जो भारत सरकार के योजना आयोग के पूर्व सदस्य थे। समिति की अंतरिम रिपोर्ट जिसमें ग्रामीण विकास से संबंधित ऋण से संबंधित सभी मुद्दों को संबोधित किया गया था, ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक संगठन की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला, और इसी संस्तुति के आधार पर 1981 के अधिनियम 61 के माध्यम से संसद में नाबार्ड के गठन को स्वीकार किया गया।

भले ही संसद में नाबार्ड को 1981 में स्वीकार किया गया हो, लेकिन यह 12 जुलाई 1982 से अस्तित्व में आया। नाबार्ड को 05 नवंबर 1982 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया गया था। इसकी स्थापना 100 करोड़ की प्रारंभिक पूंजी के साथ की गई थी और 31 मार्च 2020 तक इसकी कुल चुकता पूंजी 14,080 करोड़ रुपये थी। भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार के शेयरों में समय-समय पर किए गए संशोधनों के मद्देनजर, नाबार्ड आज पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है।

नाबार्ड के प्रमुख कार्य (NABARD Ke Pramukh Karya)

1) ग्रामीण क्षेत्रों में विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना।

2) क्षेत्रों में चल रही परियोजनाओं की निगरानी करना।

3) ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में लगी संस्थाओं का निरीक्षण करना।

4)नाबार्ड वाणिज्यिक, सहकारी, ग्रामीण बैंकों को विभिन्न सेवाएँ प्रदान करता है।

5) ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों को ऋण प्रदान करके किसानों को लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए प्रोत्साहित करना

6) ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी को कम करने के लिए गैर-कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देना और रोजगार के लिए वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना

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