Yada Yada Hi Dharmasya Sloka Meaning In Hindi – गीता में मानव जीवन की मुक्ति या उद्धार के लिए कई श्लोक दिए गए हैं। गीता सबसे महान ग्रंथ है जिसमें कर्म और धर्म के बारे में सब कुछ लिखा है, उन्हीं श्लोकों में से एक है यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, जिसका अर्थ ज्यादा लोग नहीं जानते हैं। इसलिए आज के इस लेख में हम आपको यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत का अर्थ हिंदी में बताने वाले है।
यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक का अर्थ हिंदी में (Yada Yada Hi Dharmasya Sloka Meaning In Hindi )
पूर्ण श्लोक – यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ – तो इस तरह है यह श्लोक।
श्लोक का अर्थ (मतलब) – मैं अवतार लेता हूँ, प्रकट होता हूं, धर्म की जब-जब हानि होती है, तब-तब मैं आता हूं। जब-जब अधर्म बढ़ता है, मैं साकार रूप में लोगों के सामने प्रकट होता हूं। मैं सज्जन लोगों की रक्षा करने आता हूँ, मैं दुष्टों का विनाश करने आता हूँ, मैं धर्म की स्थापना करने आता हूँ और हर युग में जन्म लेता हूँ।
बता दे महाभारत युद्ध के दौरान जब अर्जुन ने युद्ध के मैदान में अपने सगे संबंधियों को अपने सामने देखा तो उनका मन विचलित हो जाता है और गांडीव उनके हाथ से छूटकर गिरने लगता है। अर्जुन कहता कि वह अपने स्वजनों, मित्रों तथा भाइयों की हत्या (मारकर) करके इस महापाप का भागी नहीं हो चाहता। इससे अच्छा तो यह है कि मैं स्वयं युद्ध में मर जाऊँ अथवा इस युद्ध को त्याग दूँ। अर्जुन की ऐसी हालत देखकर कृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान देकर उनका मनोबल बढ़ाया, और गीता के इस ज्ञान में यह श्लोक भी आता है।
FAQs
यदा यदा ही धर्मस्य का अर्थ हिंदी में क्या होता है?
मैं अवतार लेता हूँ, प्रकट होता हूं, धर्म की जब-जब हानि होती है, तब-तब मैं आता हूं। जब-जब अधर्म बढ़ता है, मैं साकार रूप में लोगों के सामने प्रकट होता हूं। मैं सज्जन लोगों की रक्षा करने आता हूँ, मैं दुष्टों का विनाश करने आता हूँ, मैं धर्म की स्थापना करने आता हूँ और हर युग में जन्म लेता हूँ।
भगवद गीता में सबसे अच्छा श्लोक कौन सा है?
भगवद गीता में सबसे अच्छा श्लोक – यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ – है।