10 मजेदार कहानियां – बच्चों के लिए मजेदार कहानियाँ बहुत ज़रूरी है, क्योकि इन कहानियों के ज़रिए बच्चे हँसते-हँसते बहुत कुछ सीखते हैं। ये मजेदार कहानियाँ बच्चों को बहुत सी अच्छी बातें सिखाने में मदद करती हैं। इसलिए हम यहाँ छोटे बच्चों के लिए मजेदार कहानियों का संग्रह लेकर आए हैं। तो आइये जाने 10 मजेदार कहानी (10 Funny Stories In Hindi) –
10 मजेदार कहानियां (10 मजेदार कहानी) – 10 Majedar Kahaniya
1) बात जब जान पर बनी आए – 10 मजेदार कहानियां
एक बार की बात है, कुछ बच्चे खेत में खेल रहे थे, तभी पक्षियों का एक झुंड उड़ता हुआ आया और खेत के एक कोने में दाने चुगने लगा। छोटे-छोटे रंग-बिरंगे पक्षियों को इधर-उधर उछलते देखकर लड़के उनकी ओर आकर्षित हुए बिना नहीं रह सके। तभी उनमें से एक को शरारत सूझी, वह एक शरारती लड़का था, और उसने धोखे से एक पक्षी को पकड़ लिया, फिर उसने अपनी कलम की स्याही से उसे रंग दिया और उड़ने के लिए छोड़ दिया।
रंगने के बाद साथी पक्षियों ने उसे पहचानने से इनकार कर दिया। वे उसे अपने झुंड में शामिल करने को तैयार नहीं थे। जब भी वह पक्षी उनकी ओर आता, तो अन्य पक्षी दूसरी दिशा में उड़ने लगते थे, और तो और, पक्षी के अपने बच्चे भी डर के मारे उससे दूर भाग रहे थे।
जब हकीकत का पता चला तो पक्षी बहुत परेशान हुई, वह अपने बच्चों और समुदाय से कट गई थी, और बहुत दुखी थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या करना चाहिए? ऐसा लग रहा था कि उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि वह कहाँ जाए।
बेचारा पक्षी न तो उड़ पा रहा था और न ही बैठ पा रहा था। इसलिए वह बहुत देर तक एक ही जगह बैठा रहा। इसी बीच उस शरारती लड़के ने उसकी ओर एक कंकड़ फेंका। कंकड़ लगते ही पक्षी बेहोश हो गया। उस शरारती लड़के ने पक्षी को उठाया और उसके पंख नोचने लगा। अच्छा तो यह हुआ कि दूसरे लड़कों में से एक दयालु निकला, उसने पक्षी पर ठंडा पानी छिड़का दिया।
पक्षी को होश तो आ गया लेकिन उसे ऐसा लगा जैसे उसके शरीर के हर हिस्से में चुभन की वजह से उसे दर्द हो रहा हो। पंख नोचने की वजह से उसे बहुत दर्द हो रहा था। अब उस शरारती लड़के ने एक बड़े तिनके से पक्षी की आँखों में चुभोना चाहा तो पक्षी डर गया। उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी ताकि वह लड़के की पकड़ से छूट जाए।
बेचारा पक्षी उछल-कूद कर लड़के की पकड़ से छूटना चाहता था, लेकिन वह लड़का उसे फिर से पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ रहा था। यह लड़का मेरे पीछे क्यों पड़ा है? पक्षी मन ही मन सोच रहा था। वह रो भी रही थी, उसका एक पंख जड़ से टूट गया था, इसी कारण उसे बहुत पीड़ा हो रही थी।
आखिर उसने मन ही मन कुछ निश्चय किया। बेचारा मर रहा था, उसने पूरी ताकत लगाकर लड़के के चेहरे पर चोंच मारी। शरारती लड़का कराह उठा और गिर पड़ा। उधर, नन्हीं पक्षी का उत्साह बढ़ गया। वह अपना दर्द भूल गई, फिर एक के बाद एक उसने उस पर इतनी मजबूत चोंच से हमला किया कि लड़का डर गया। लेकिन पक्षी ने उसे संभलने का मौका नहीं दिया। लड़के का पूरा चेहरा खून से लथपथ हो गया, फिर घबराहट में वह एक गड्ढे में गिर गया और बेहोश हो गया। घायल पक्षी भी बेहोश हो गई लेकिन लड़के को सबक सिखाकर।
सीख – वास्तव में, जब भी अपनी शक्ति का इस्तेमाल आत्मरक्षा के लिए किया जाता है, तो कमजोर भी मजबूत से लड़ता है और जीतता है। इस पक्षी की तरह, अपने जीवन और मृत्यु की परवाह किए बिना।
2) बुद्धिमान शेर – 10 मजेदार कहानियां
एक जंगल में एक बुद्धिमान शेर रहता था। शेर बहुत विद्वान और बुद्धिमान था। जंगल के सभी जानवर उसकी बुद्धि की प्रशंसा करते थे और सलाह लेने उसके पास आते थे। वह हमेशा जानवरों की मदद करता था और उनकी समस्याओं का समाधान खोजने में उनकी मदद करता था।
एक दिन जंगल के एक हिस्से में गुरुकुल खुला। गुरुकुल में छात्रों को शिक्षा दी जाती थी और उन्हें विभिन्न विषय पढ़ाए जाते थे। बुद्धिमान शेर भी इस गुरुकुल में गया और वहाँ अपनी बुद्धि का परिचय देने लगा।
एक दिन गुरुकुल के शिक्षक ने एक विशेष आयोजन किया। उन्होंने सभी छात्रों से एक समझदारी भरा सवाल पूछा और सही जवाब देने वाले छात्र को एक विशेष पुरस्कार देने का फैसला किया।
सभी छात्रों ने अपनी बुद्धि से उत्तर देने की कोशिश की, लेकिन कोई भी सही उत्तर नहीं दे पा रहा था। फिर बुद्धिमान शेर की बारी आई। शिक्षक ने एक चुटकुला सुनाया और पूछा, “कौन सबसे ज़्यादा बुद्धिमान है?”
बुद्धिमान शेर ने बिना सोचे-समझे जवाब दिया, “सिर्फ़ और सिर्फ़ इंसान ही सबसे ज़्यादा बुद्धिमान हैं।”
उसके जवाब ने सभी को हैरान कर दिया। शिक्षक ने खुशी-खुशी बुद्धिमान शेर को पुरस्कार दे दिया। शेर की बुद्धि और ज्ञान ने सभी को प्रभावित किया और उन्हें एक अच्छा विचारक और ज्ञानी व्यक्ति होने का महत्व सिखाया।
सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें पढ़ाई के महत्व को समझना चाहिए और हमेशा ज्ञान और बुद्धि की प्रशंसा करनी चाहिए। इस कहानी ने हमे सिखाया की ज्ञान का मूल्य अमूल्य है और हमें हमेशा पढ़ाई के प्रति समर्पित रहना चाहिए, और अपने ज्ञान पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।
3) भोला हाथी और चींटी – 10 मजेदार कहानियां
एक हाथी एक जंगल में रहता था। वह एक बड़ा और खुशमिजाज हाथी था और जंगल के सभी जानवर उसे प्यार से भोला हाथी कहते थे। वह अपने दोस्तों के साथ खुशी-खुशी रहता था।
एक दिन भोला हाथी जंगल में घूम रहा था और अचानक उसकी नज़र एक चतुर चींटी पर पड़ी। चींटी बहुत खुश हुई और वह भोला हाथी के पास आई और खुश होकर हाथी से बोली, “हाथी राजा, क्या आप मुझे सवारी पर ले चलेंगे?”
भोला हाथी ने प्यार से चींटी की बात सुनी और उसे सवारी पर बिठा लिया। चींटी बहुत खुश हुई और उसने भोला हाथी को जंगल के बहुत से हिस्से दिखाए। वह उसे जंगल में घुमाने ले गई और जंगल की खूबसूरती का आनंद लिया।
फिर चींटी ने हाथी से कहा, “हाथी राजा, आज आपने मुझे बहुत आनंद दिया। अब मुझे वापस मेरे घर की तरफ ले चलो।” हाथी ने भी चींटी की बात मान ली और चींटी को वापस उसके घर ले जाने लगा। चींटी खुश थी कि उसने भोले हाथी के साथ अच्छा समय बिताया और उसकी मदद की।
सीख – सीख इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि दूसरों की मदद करने से हमें खुशी मिलती है और हमें विश्वासघात नहीं करना चाहिए। भोले हाथी और चतुर चींटी की दोस्ती हमें सच्ची दोस्ती की मिसाल देती है।
4) दूल्हे बेचने वाली दुकान – 10 मजेदार कहानियां
एक बार की बात है, एक बड़े शहर में दूल्हे बेचने वाली एक दुकान खुली, जहाँ दूल्हे की तलाश करने वाली कोई भी महिला वहाँ जाकर कई पुरुषों में से किसी एक को अपना पति चुन सकती थी।
यह दूल्हे की दुकान 6 मंजिलों की बनी हुई थी, और जैसे-जैसे खरीदारएक एक मंजिल ऊपर चढ़ता जाता था, दूल्हे की विशेषताएँ बढ़ती जाती थी, यानी हर मंजिल बढ़ने के साथ-साथ वहाँ पहले से बेहतर दूल्हे मिलते थे
हालाँकि, इस दुकान की एक शर्त थी जिसका पालन हर महिला को करना पड़ता था। शर्त के अनुसार, जब आप किसी भी मंजिल का दरवाज़ा खोलेंगी तो आप उस मंजिल से एक आदमी चुन सकती हैं, लेकिन अगर आप एक मंजिल ऊपर जाती हैं, तो आप इमारत से बाहर निकलने के अलावा वापस नीचे नहीं जा सकतीं।
तो एक महिला पति की तलाश में इस दुकान पर जाती है। पहली मंजिल पर दरवाजे पर लिखा होता है – इन लोगों के पास नौकरी है। महिला साइन पढ़ती है और खुद से कहती है, अच्छा है, यह मेरे पिछले प्रेमी से काफी बेहतर है, लेकिन मैं जानना चाहती हूँ कि आगे क्या है?” इसलिए वह महिला ऊपर की ओर बढ़ जाती है।
अब वह दूसरी मंजिल पर पहुंच जाती है, जंहा पर लगे साइनबोर्ड पर लिखा होता है की, इन पुरुषों के पास नौकरी है और वे बच्चों से भी प्यार करते हैं। महिला खुद से कहती है, “यह बढ़िया है, लेकिन मैं जानना चाहती हूँ कि और आगे क्या है?” और वह फिर से ऊपर की ओर बढ़ती है।
तीसरी मंजिल पर लगे साइनबोर्ड पर लिखा होता है – इन पुरुषों के पास नौकरी है, वे बच्चों से प्यार करते हैं और बेहद खूबसूरत हैं। लेकिन फिर भी वह कहती है, मैं जानना चाहती हूँ कि इसके और ऊपर क्या है?”
इसलिए वह चौथी मंजिल पर जाती है और चौथी मंजिल का साइनबोर्ड पढ़ती है, चौथी मंजिल लिखा होता है की – इन पुरुषों के पास नौकरी है, वे बच्चों से प्यार करते हैं, बेहद खूबसूरत हैं और घर के कामों में मदद करते हैं।
लेकिन, वह सोचती और भी होना चाहिए और वह फिर से ऊपर की बढ़ती है, अब वह पाँचवीं मंजिल पर लगे बोर्ड को पढ़ती है, पाँचवीं मंजिल पर लिखा होता है – इन पुरुषों के पास नौकरी है, वे बच्चों से प्यार करते हैं, बेहद खूबसूरत हैं, घर के कामों में मदद करते हैं और काफी रोमांटिक हैं।
महिला सोचती है यह तो बहुत ही अच्छा है, लेकिन वह सोचती पाँचवीं मंजिल पर इतना सब कुछ है तो छठी मंजिल पर और भी बहुत कुछ होगा, इसलिए वह छठी मंजिल पर चली जाती है।
छठी मंजिल पर लगे बोर्ड पर लिखा होता है, – आप इस मंजिल पर 5,55,59677वें ग्राहक हैं। इस मंजिल पर कोई पुरुष नहीं है, यह मंजिल केवल इस बात का सबूत है कि महिलाओं को खुश करना असंभव है।
5) चीटी और कबूतर कहानी
एक बार की बात है एक चींटी पेड़ से तालाब में गिर गई। एक कबूतर ने उसे अपनी जान बचाने की पूरी कोशिश करते देखा। तभी कबूतर ने एक पत्ता तोड़कर चींटी के पास फेंका। चींटी जल्दी से पत्ते पर चढ़ गई और कृतज्ञता भरी नजरों से कबूतर को धन्यवाद दिया, लेकिन चींटी बहुत थक चुकी थी।
कुछ हफ्ते बाद जंगल में एक शिकारी आया। पक्षियों को पकड़ना शिकारी का काम होता है। उसने जमीन पर कुछ दाने डाले और अपना जाल फैलाया। वह चुपचाप जाल में किसी पक्षी के फंसने का इंतजार कर रहा था।
वहां से गुजर रही चींटी ने सारी तैयारियां देखीं और क्या देखा की? वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी, उसी जाल में फंसने के लिए धीरे-धीरे उड़कर नीचे आ रही थी। चींटी तुरंत आगे बढ़ी और शिकारी के पैर में इतनी बुरी तरह काटा कि शिकारी जोर से चीख पड़ा।
कबूतर ने तुरंत देख लिया कि आवाज किस दिशा से आ रही है और जैसे ही उसने शिकारी को देखा, वह सब समझ गयी और दूसरी दिशा में उड़ गयी और उसकी जान बच गई।
6) दो मेंढकों की कहानी
बात एक समय की है, जब मेंढकों का एक समूह पानी की तलाश में जंगल में उधर उधर घूम रहा था। उसी दौरान अचानक समूह के दो मेंढक गलती से एक गहरे गड्ढे में जा गिरे। समूह के दूसरे मेंढक गड्ढे में गिरे अपने दोस्तों को लेकर बहुत चिंतित थे क्योंकि गड्ढा बहुत ही गहरा था।
यह देखकर, उन्होंने दो मेंढकों से कहा कि गहरे गड्ढे से निकलने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का कोई मतलब भी नहीं है। जब दोनों मेंढक गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, तो वे उन्हें हतोत्साहित करते रहे। उन्होंने कही कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। जल्द ही दो में से एक मेंढक को दूसरे मेंढकों पर विश्वास होने लगा कि वे कभी गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाएंगे और आखिरकार हार मानकर मर गया।
लेकिन दूसरा मेंढक हार न मानकर अपनी कोशिश करता रहता है और आखिरकार इतनी ऊंची छलांग लेता है की वह एक झटके में गड्ढे से बाहर निकल जाता है। यह सब देखकर दूसरे मेंढक हैरान रह जाते हैं और आश्चर्य करते हैं कि उसने यह कैसे किया। अंतर यह था कि दूसरा मेंढक बहरा था और समूह की निराशा को सुन नहीं सकता था। उसे लगा कि वे उसे प्रोत्साहित कर रहे हैं और कूदने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
07) टोपीवाला और बन्दर
एक बार की बात है, सड़क के किनारे एक पेड़ पर बहुत सारे बंदर रहते थे। गर्मी के दिन थे। एक थका हुआ टोपी बेचने वाला उधर से गुजर रहा था। पेड़ की घनी छाया देखकर उसने अपनी टोपियों की गठरी वहीं रख दी और आराम करने लगा। थकान के कारण उसे नींद आ गई। जब उसने आंख खोली तो अपनी गठरी खाली पाई। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने इधर-उधर देखा और कुछ देर बाद उसकी नजर पेड़ पर बैठे बंदरों पर पड़ी। बंदरों ने टोपी बेचने वाले की सारी टोपियां अपने सिर पर पहन रखी थीं। टोपी बेचने वाले ने बंदरों को धमकाया, लेकिन उन्होंने टोपियां नहीं दीं। तब टोपी बेचने वाले ने एक तरकीब अपनाई और उसने अपनी टोपी उतार कर नीचे फेंक दी। नकल करने वाले बंदरों ने भी अपनी टोपियां सिर से उतार कर नीचे फेंक दी। तो इस तरह टोपीवाले को अपनी सारि टोपियां फिर से मिल गयी।
सीख – बुद्धि से काम लिया जाए, तो किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है।
08) सारस और लोमड़ी
एक जंगल में एक सारस और एक लोमड़ी रहते थे, धीरे-धीरे वे दोस्त बन गए। लोमड़ी बहुत चालाक थी, लेकिन सारस बहुत सीधा था। एक दिन लोमड़ी ने सारस से कहा, “मित्र, कल तुम्हें मेरे घर भोजन पर आना ।” सारस ने उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया।
अगले दिन सारस और लोमड़ी ने खीर बनाई और दो बड़े बर्तनों में परोस दी। दोनों दोस्त खीर खाने बैठ गए। लोमड़ी ने कुछ ही देर में खीर खत्म कर दी, लेकिन सारस अपनी लंबी चोंच से खीर नहीं खा सका और भूखा रह गया।
उसने मन ही मन लोमड़ी से इस चालाकी का बदला लेने का फैसला किया। कुछ दिनों बाद सारस ने लोमड़ी से कहा, “बहन, कल तुम हमारे घर भोजन करने आना।” लोमड़ी ने खुशी-खुशी उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया और अगले ही दिन उसके घर पहुँच गई।
सारस ने खीर बनाई और दो लंबी गर्दन वाले बर्तनों में परोस दी। सारस ने अपनी लंबी गर्दन से खीर खत्म कर दी। लेकिन लोमड़ी उसे खा नहीं सकी और भूखी ही रही। उसे अपने पिछले व्यवहार पर बहुत शर्म आ रही थी।
09) बारिश और बंदर
एक जंगल में आम का एक पेड़ था, जिस पर बहुत सारे पक्षी रहा करते थे। वे अपने छोटे-छोटे घोंसलों में खुश थे। बरसात का मौसम शुरू होने से पहले वे अपने घोंसलों को और भी मजबूत बना लेते थे। सभी पक्षी बहुत सी टहनियाँ और पत्तियाँ लाते और अपने घोंसलों को मजबूत बनाते।
पक्षियों ने सोचा कि हमें भी अपने बच्चों के लिए कुछ खाना लाना चाहिए। इसलिए सभी पक्षियों ने कड़ी मेहनत की और भोजन ढूंढ़ कर इकट्ठा किया, ताकि बरसात के मौसम में कोई परेशानी न हो। जल्द ही बरसात का मौसम आ गया और सभी पशु-पक्षी अपने घरों में रहने लगे। कई दिनों तक बारिश होती रही।
एक दिन एक बंदर बारिश में फंस गया। वह बारिश के दौरान एक पेड़ की टहनी पर बैठ गया, लेकिन पानी फिर भी उसके ऊपर आ रहा था। बंदर को भीगते हुए बहुत ठंड लग रही थी। बंदर ने कहा, “अरे बहुत ठंड है।” पक्षी यह सब देख रहे थे और उन्हें बंदर पर बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन उनके लिए कुछ भी कर पाना संभव नहीं था।
एक पक्षी ने कहा, “बंदर भाई, तुम हमारे इन छोटे से घोंसले में नहीं आ सकोंगे, इसलिए हम तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकते। हम सभी ने बारिश के मौसम की तैयारी कर ली थी। अगर तुमने भी अपना घर बनाया होता तो तुम्हारी यह हालत नहीं होती।
चिड़िया की बातें सुनकर बंदर को बहुत गुस्सा आया। बंदर बोला, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे यह बताने की कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं। गुस्से में आकर उसने चिड़ियों के सारे घोंसले तोड़कर जमीन पर फेंक दिए। चिड़िया कुछ नहीं कर सकी।
ऐसी स्थिति में न केवल बंदर को नुकसान हुआ, बल्कि उसने चिड़ियों को भी नुकसान पहुंचाया। चिड़ियों ने सोचा कि मूर्ख कभी अच्छी सलाह नहीं सुनते, इसलिए उन्हें सलाह न देना ही बेहतर है।
10) बिच्छू और संत
एक बार की बात है नदी में एक बिच्छू तैर रहा था। नदी के पास खड़े एक संत ने बिच्छू को तैरते हुए देखा और उसे हाथ से पकड़कर बाहर निकालने की कोशिश की। अपने स्वभाव के कारण बिच्छू ने संत को डंक मार दिया और वापस नदी में चला गया।
संत ने फिर बिच्छू को अपने हाथ से निकालने की कोशिश की। बिच्छू ने फिर संत को डंक मारा और वापस नदी में चला गया। ऐसा दो-तीन बार हुआ और आखिरकार संत बिच्छू को नदी से बाहर निकालने में सफल हो गए।
पास में खड़ा संत का शिष्य यह सब देख रहा था। उसने संत से पूछा कि आप जानते हैं कि बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहचानना है, फिर भी आप उसे अपने हाथ से निकाल रहे थे। संत ने कहा कि जब यह बिच्छू अपना स्वभाव नहीं बदल सकता, तो मैं संत होकर अपना स्वभाव कैसे बदल सकता हूँ।