तिरुपति बालाजी मंदिर कहां है, तिरुपति बालाजी मंदिर कहां स्तिथ है – Tirupati Balaji Mandir Kaha Hai

Tirupati Balaji Mandir Kahan Hai – भारत को मंदिरों का देश यूं ही नहीं कहा जाता, यहां के मंदिरों में कुछ खास बात है, जो अपनी आस्था और भक्ति के कारण हजारों किलोमीटर दूर से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहां हजारों मंदिर हैं, जिनका अपना इतिहास और रहस्य है, जिसे आज तक कोई उजागर नहीं कर पाया है और शायद कोई ऐसा करने में सक्षम भी नहीं है। इन्हीं में से एक है तिरुपति बालाजी मंदिर। तो आइये जानते है तिरुपति बालाजी मंदिर कहां स्तिथ है और इसके बारे में बहुत कुछ (Tirupati Balaji Mandir Stith Hai) –

तिरुपति बालाजी मंदिर कहां है, तिरुपति बालाजी मंदिर कहां स्तिथ है – Tirupati Balaji Mandir Kahan Hai In Hindi

तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पर्वत पर स्थित यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख और पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है। इसके अलावा यह भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से भी एक है। चमत्कारों और रहस्यों से भरा यह मंदिर भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जाना जाता है। इस मंदिर के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर स्वामी हैं, जिन्हें स्वयं भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है और वे अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमाला पर्वत पर निवास करते हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर में बाल दान करने की क्या है परंपरा?

मान्यताओं के अनुसार, जिन भक्तों की मनोकामना पूरी होती है, वे मंदिर में आकर वेंकटेश्वर स्वामी को अपने बाल समर्पित (दान) करते हैं। दक्षिण में होने के बावजूद इस मंदिर से पूरे देश की आस्था जुड़ी हुई है। यह प्रथा आज से नहीं बल्कि कई सदियों से चली आ रही है, जिसका आज भी भक्त बड़ी श्रद्धा से पालन कर रहे हैं। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां सिर्फ पुरुष ही अपने बाल दान नहीं करते बल्कि महिलाएं और लड़कियां भी श्रद्धा से अपने बाल दान करती हैं।

तिरुपति में बाल दान के पीछे क्या कहानी है?

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में भगवान तिरुपति बालाजी की मूर्ति पर चींटियों ने टीला बना दिया था, जिसके कारण यह किसी को दिखाई नहीं देती थी। ऐसे में वहां हर रोज एक गाय आती थी और अपने दूध से मूर्ति का जलाभिषेक करके चली जाती थी। जब गाय के मालिक को इस बात का पता चला तो उसने गाय को मार दिया, जिसके बाद मूर्ति के सिर से खून बहने लगा। इस पर एक महिला ने अपने बाल काटकर बालाजी के सिर पर रख दिए। इसके बाद भगवान प्रकट हुए और महिला से कहा, जो भी यहां आकर अपने बालों का बलिदान मुझे देगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। तभी से बाल दान की यह परंपरा चली आ रही है।

तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं की मानें तो भगवान विष्णु जी ने कुछ समय तक स्वामी पुष्करणी नामक झील के किनारे निवास किया था। यह झील तिरुमाला की पहाड़ी पर स्थित है। इसीलिए तिरुपति के आसपास की पहाड़ियों को ‘सप्तगिरि’ कहते है, जो शेषनाग जी के सात फनों के आधार पर बनी हुई हैं। भगवान श्री वेंकटेश्वरैया का यह मंदिर सप्तगिरि की सातवीं पहाड़ी पर स्थित है, जिसे वेंकटाद्रि के नाम से भी जानते है। कहा जाता है कि मंदिर में स्थित भगवान की मूर्ति किसी ने नहीं बनाई है बल्कि यह अपने आप स्वयं उत्पन्न हुई है।

तिरुपति बालाजी मंदिर का इतिहास (History Of Tirupati Balaji Temple In Hindi)

तिरुपति बालाजी मंदिर को ‘सात पहाड़ियों का मंदिर’ (टेम्पल ऑफ सेवन हिल्स) भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी के आसपास हुआ था, जिसका समय-समय पर अलग-अलग राजवंशों के शासकों द्वारा जीर्णोद्धार किया जाता रहा है। 5वीं शताब्दी तक यह मंदिर सनातनियों का मुख्य धार्मिक केंद्र बन चुका था। कहा जाता है कि इस मंदिर की उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय द्वारा हुई थी।

9वीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इस स्थान पर कब्ज़ा कर लिया था। अगर इस मंदिर की प्रसिद्धि की बात करें तो 15वीं शताब्दी के बाद इस मंदिर को बहुत प्रसिद्धि मिली, जो आज तक कायम है।

तिरुपति बालाजी मंदिर की कहानी

कहते हैं कि एक बार भगवान विष्णु अपनी पत्नी लक्ष्मी के साथ क्षीर सागर में शेषशैया पर विश्राम कर रहे थे, तभी भृगु ऋषि वहां आए और उनकी छाती पर लात मार दी। इस पर क्रोधित होने के बजाय विष्णु जी ने भृगु ऋषि के पैर पकड़ लिए और पूछा कि ऋषिवर आपके पैर में चोट तो नहीं लगी। लेकिन लक्ष्मी जी को ऋषि का यह व्यवहार पसंद नहीं आया और वे क्रोधित होकर वैकुंठ छोड़कर धरती पर पद्मावती नाम की कन्या के रूप में जन्मीं।

इस पर भगवान विष्णु ने अपना रूप बदलकर वेंकटेश्वर का रूप धारण कर माता पद्मावती के पास पहुंचकर विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे देवी ने स्वीकार कर लिया और फिर दोनों का विवाह संपन्न हुआ। आज भी तिरुपति मंदिर में स्थित मूर्ति को आधे पुरुष व आधे महिला के वस्त्र में सजाया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर स्वामी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ यहां वास करते हैं।

तिरुपति बालाजी मंदिर में चढ़ाया जाने वाला प्रसाद

तिरुपति बालाजी मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। तिरुपति बालाजी मंदिर से 23 किलोमीटर की दुरी पर एक गांव है, जहां बाहरी लोगों का प्रवेश वर्जित है। यहाँ के लोग बहुत ही अनुशासन के साथ रहते हैं। मान्यता है कि बालाजी को चढ़ाने के लिए फल, फूल, दूध, दही और घी सब इसी गांव से आते हैं। इस गांव में सदियों से यह परंपरा चली आ रही है, यहाँ की महिलाएं कभी भी सिले हुए कपड़े नहीं पहनती हैं।

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