Train Accident Today – कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा, कैसे हुआ, और किसकी गलती

West Bengal Kanchanjunga Express Train Accident Today – 17 जून 2024 की सुबह पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन के पास एक बड़ा रेल हादसा घटित हुआ। इस हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलते ही पश्चिम बंगाल प्रशासन तुरंत मौके पर पहुंचा और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी राहत एवं बचाव कार्यों पर अपनी नजर बनाए रखे हुए हैं।

सोमवार को पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन के पास सियालदह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को एक मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। इस हादसे में ट्रेन के दो पिछले डिब्बे पटरी से उतर गए।

कंचनजंगा ट्रेन हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। सिलीगुड़ी में बारिश के कारण राहत एवं बचाव कार्य प्रभावित हुआ है।

उत्तर बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से करीब 7 किलोमीटर दूर रंगापानी स्टेशन के पास अगरतला से आ रही 13174 कंचनजंगा एक्सप्रेस के दो डिब्बे मालगाड़ी के इंजन से पीछे से टकराने के कारण पटरी से उतर गए।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दुर्घटना पर दुख जताया और सभी शीर्ष अधिकारियों को तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू करने का निर्देश दिया।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बचाव अभियान जोरों पर है। दिल्ली स्थित वॉर रूम में स्थिति पर नजर रखी जा रही है।

कंचनजंगा ट्रेन दुर्घटना को देखते हुए भारतीय रेलवे ने हेल्पलाइन नंबर शुरू किए हैं। हेल्पलाइन नंबर 033-23508794 और 033-23833326 पर संपर्क कर स्थिति की जानकारी ली जा सकती है।

उत्तर बंगाल राष्ट्रीय परिवहन निगम के चेयरमैन पार्थ प्रतिम रॉय के अनुसार कि कंचनजंगा एक्सप्रेस में फंसे यात्रियों को बाहर निकालने के लिए उत्तर बंगाल राष्ट्रीय परिवहन निगम की 10 बसें दुर्घटनास्थल पर भेजी जा चुकी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रेन दुर्घटना पर दुख जताया है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की है।

बेपरवाही, लापरवाही और गलत टाइमिंग – क्या है कारण?

दुर्घटना मालगाड़ी के लोको पायलट की लापरवाही के कारण हुई हो सकती है। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्राप्त दस्तावेजों से यह भी पता चला है कि लाइन पर स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम बंद कर दिया गया था और रंगापानी स्टेशन प्रबंधक द्वारा ट्रेनों को पार करने के लिए ‘पेपर लाइन क्लीयरेंस’ दिया गया था। रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने संवाददाताओं से कहा, “यह मानवीय भूल प्रतीत होती लगती है, पर जांच करने के बाद ही हमें और जानकारी प्राप्त होगी।

दुर्भाग्य से चालक (मालगाड़ी का) भी इस दुर्घटना में बचा नहीं सका, इसलिए हमारे पास यह जानने का कोई प्रामाणिक तरीका नहीं है कि आखिर में ऐसा क्या हुआ था। स्थिति से जो कुछ भी हम समझ पाए हैं, उससे ऐसा लगता है कि सिग्नल को अनदेखा किया गया था।”

दुर्घटना स्थल पर मौजूद एक रेलवे सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मालगाड़ी से पहले कम से कम चार ट्रेनें सिग्नल से गुजरी थीं। अधिकारी ने कहा, “स्वचालित सिग्नलिंग सिस्टम के लिए प्रोटोकॉल यह है कि अगर लाल बत्ती होती है, तो लोको पायलट को एक मिनट के लिए ट्रेन रोकनी होती है और फिर हॉर्न बजाते हुए धीमी गति से आगे बढ़ना होता है। इस मामले को लेकर, ऐसा लगता है कि सिग्नल पर पायलट ने अपनी स्पीड धीमी नहीं की।

सूत्र ने यह भी दावा किया कि लोको पायलट उत्तर प्रदेश में अपने मुख्यालय में आराम कर रहा था। उसने सुबह 6:30 बजे साइन इन किया और दुर्घटना सुबह 8.55 बजे हुई। बेशक, घटना की व्यापक जांच अभी की जानी है और ये रेलवे अधिकारियों द्वारा प्रथम दृष्टया निष्कर्ष हैं।

अधिकारियों ने कहा कि कवच (भारत में निर्मित एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली जो एक ही लाइन पर दो ट्रेनों के चलने पर दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है) इस विशेष लाइन पर उपलब्ध नहीं थी।

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