मॉब लिंचिंग क्या है (Mob Lynching Kya Hai) – What Is Mob Lynching Meaning In Hindi

मॉब लिंचिंग किसे कहते हैं – हाल ही में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, तो आइए जानते हैं मॉब लिंचिंग क्या है और मॉब लिंचिंग के क्या कारण हैं और इसे रोकने के उपाय क्या हैं? इससे जुड़ी सभी बातें जानेंगे।

पिछले कुछ सालों में मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे समाज में डर का माहौल बन गया है। भारत में इसके खिलाफ ज्यादा कानून न होने की वजह से इसका असर समाज पर अनियंत्रित तरीके से पड़ रहा है।

मॉब लिंचिंग का अर्थ – मॉब लिंचिंग का मतलब क्या होता है – What Is Mob Lynching Meaning In Hindi

मॉब लिंचिंग का अर्थ – मॉब लिंचिंग का मतलब होता है – भीड़ द्वारा हत्या।

मॉब लिंचिंग किसे कहते हैं (Mob Lynching Kya Hai) – Mob Lynching Kise Kahate Hain

जब अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को उसके अपराध के लिए या कभी-कभी अफवाहों के आधार पर भी बिना कोई अपराध किए पीट-पीटकर मार दिया जाता है, तो भीड़ द्वारा की गई इस हिंसा को मॉब लिंचिंग कहते हैं।

इस तरह की हिंसा में किसी कानूनी प्रक्रिया या सिद्धांत का पालन नहीं किया जाता है, इसलिए यह पूरी तरह से अवैध है। इस तरह की घटना ज्यादातर दो अलग-अलग समूहों के लोगों के बीच देखने को मिलती है।

मॉब लिंचिंग की घटना छोटे या बड़े व्यक्ति के साथ हो सकती है क्योंकि भीड़ कभी भी व्यक्ति के आकार को देखकर हमला नहीं करती है।

मॉब लिंचिंग का कारण क्या है (Mob Lynching Ka Karan Kya Hai)

भारत में धर्म और जाति के नाम पर हिंसा की जड़ें बहुत मजबूत हैं, जहाँ एक जाति दूसरी जाति से नफरत करती है और एक धर्म दूसरे धर्म से नफरत करता है।

भारत में धर्म और जाति प्रमुख हैं। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के बीच मतभेद।

आधुनिकता के साथ हमारे अंदर व्यक्तिवाद की भावना विकसित हुई है, जिसके कारण हम लोगों के प्रति संवेदनशील होना भूल गए हैं।

भीड़ में शामिल लोग सही और गलत की तुलना नहीं करते। लिंचिंग में शामिल लोगों की गिरफ्तारी न होना भी एक बड़ी समस्या है, जो इस तरह के कृत्यों को दोहराने का साहस देती है।

भारत में भीड़ द्वारा किए गए किसी भी कुकृत्य के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है।

मॉब लिंचिंग का क्या असर होता है (Mob Lynching Ka Kya Asar Hota Hai)

मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं पूरी तरह से गैरकानूनी हैं और अगर इसमें शामिल लोगों को सजा नहीं दी गई तो लोगों का संविधान पर से भरोसा उठ जाएगा।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 हर व्यक्ति को जीने की आजादी देता है, लेकिन मॉब लिंचिंग व्यक्ति के मौलिक अधिकारों को छीन लेती है।

2019 की वैश्विक शांति सूची में भारत 163 देशों में 141वें स्थान पर था। यह समाज की एकता और अखंडता को नष्ट करता है।

यह समाज में रहने वाले दो अलग-अलग समूहों के लोगों के बीच असंतोष की भावना पैदा करता है।

मॉब लिंचिंग से देश का आर्थिक विकास भी प्रभावित होता है। ऐसी घटनाओं में सार्वजनिक संपत्ति का बहुत नुकसान होता है।

मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?

राज्य सरकार को हर जिले में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाना चाहिए।

राज्य सरकारों को जल्द से जल्द उन जिलों, उप-जिलों, गांवों की पहचान करनी चाहिए जहां ऐसी घटनाएं अधिक होती हैं।

केंद्र और राज्य सरकारों को रेडियो, टेलीविजन और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित करना होगा कि इस घटना में शामिल लोगों को कड़ी सजा दी जाएगी।

सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर लगाम लगानी होगी।

राज्य सरकारों को मॉब लिंचिंग से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा योजना शुरू करनी चाहिए।

राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि पीड़ित को फिर से परेशान न किया जाए।

मॉब लिंचिंग रोकने के लिए महत्वपूर्ण उपाय —

मॉब लिंचिंग रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।

लोगों को एक-दूसरे के प्रति अपनी सोच बदलनी होगी। इस घटना में होने वाली हत्या के लिए दोषी को संवैधानिक रूप से दंडित किया जाना चाहिए।

धर्म के नाम पर भीड़ को उकसाया नहीं जाना चाहिए। मॉब लिंचिंग रोकथाम अधिनियम और POCSO जैसे सख्त और प्रभावी कानून बनाए जाने चाहिए।

स्थानीय पुलिस को इसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी होगी

हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है ताकि मॉब लिंचिंग के खिलाफ आवाज उठाने पर हमें देशद्रोही न करार दिया जाए।

40 प्रतिशत शिक्षित युवा खबरों की सच्चाई की जांच नहीं करते और उसे दूसरी जगह भेज देते हैं।

सोशल मीडिया और इंटरनेट के प्रसार के साथ ही भारत में अफवाहों का प्रसार बढ़ गया है।

मॉब लिंचिंग का इतिहास —-

22 जनवरी 1999 को उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले में मॉब लिंचिंग की पहली घटना हुई जिसने भारत को बहुत बदनाम किया।

ग्राम राज्य जो अपनी पत्नी और बच्चों के साथ उड़ीसा क्योंझर में रहता था, उसका मुख्य पेशा मरीजों की सेवा करना था। एक बार वह एक ईसाई सम्मेलन में गया था, वहाँ से लौटते समय कई लोगों ने उसे घेर लिया और धर्म परिवर्तन के आरोप में पीट-पीट कर मार डाला।

भारत में इस तरह की अपराधिक घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं, इसलिए इसे सुलझाने के लिए सरकार को जल्दी निर्णय लेना चाहिए और आरोपियों को सख्त से सख्त सजा देनी चाहिए।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Articles