आज की तिथि क्या है (आज कौन सी तिथि है) – Aaj Ki Tithi Kya Hai ( Aaj Kya Tithi Hai)

Aaj Kaun Si Tithi Hai – तिथि पंचांग का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो हिंदू चंद्र मास का एक दिन होता है। सभी दिन, त्योहार, महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि आदि तिथि के आधार पर निर्धारित होते हैं। एक तिथि तब पूर्ण मानी जाती है जब चंद्रमा सूर्य से 12 डिग्री पर स्थित होता है। तिथियां 16 होती हैं जिनमें अमावस्या और पूर्णिमा एक महीने में केवल एक बार आती हैं जबकि अन्य तिथियां दो बार आती हैं।

वैदिक ज्योतिष में एक महीने में कुल 30 तिथियां निर्धारित की गई हैं। पहली पंद्रह तिथियां शुक्ल पक्ष में शामिल हैं, जबकि अगली पंद्रह तिथियां कृष्ण पक्ष में शामिल हैं। चंद्रमा के 12 डिग्री पर झुकाव के साथ, महीने की एक तिथि समाप्त हो जाती है। एक तिथि के पांच भाग होते हैं जिन्हें नंदा, भद्रा, रिक्ता, जया और पूर्णा कहा जाता है।

आज की तिथि और तारीख (हिंदी कैलेंडर तिथि) – Aaj Kaun Si Tithi Hai (Today Tithi In Hindi)

आश्विन मास, कृष्ण पक्ष, चतुर्दशी तिथि, वार – बुधवार, दिनांक – 02 अक्टूबर 2024

तिथि अमावस्या 24:18 तक
नक्षत्र उत्तर फाल्गुनी 12:17 तक
प्रथम करण चतुष्पदा 10:59 तक
द्वितीय करण नागा 24:18 तक
पक्ष कृष्ण
वार बुधवार
योग ब्रह्मा 27:10 तक
सूर्योदय 06:18
सूर्यास्त 18:01
चंद्रमा कन्या 03:37 तक
राहुकाल 12:10 − 13:38
विक्रमी संवत् 2081
शक संवत 1946
मास आश्विन
शुभ मुहूर्त अभिजीत कोई नहीं

पंचांग में तिथि का महत्व —

हिंदू कैलेंडर या पंचांग में तिथियों का बहुत महत्व है क्योंकि यह लोगों को कोई नया कार्य करने या शुरू करने के लिए शुभ समय प्रदान करती है। शुभ तिथियों के साथ-साथ अशुभ तिथियाँ भी होती हैं। तिथि दिन के अलग-अलग समय पर शुरू होती है और इसकी अवधि लगभग 19 से 26 घंटे तक हो सकती है। तिथियों के नाम हैं – प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा।

पंचांग की 30 तिथियां —

हिंदू कैलेंडर की तिथियों को दो भागों में विभाजित गया है – एक है शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष। प्रत्येक पक्ष में कुल 15 तिथियां होती हैं। सामूहिक रूप से कैलेंडर में कुल 30 तिथियां आती हैं। अमावस्या व पूर्णिमा को छोड़ दिया जाये तो सभी तिथियां एक महीने में दो बार आती हैं। आइए जानते हैं तिथियों के बारे में..

प्रथम/प्रतिपदा – यह सभी प्रकार के शुभ और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सबसे उपयुक्त तिथि है। इस तिथि के देवता अग्नि हैं।

द्वितीया/विद्या – यह किसी पक्के भवन और मकान जैसी अन्य चीजों की नींव रखने के लिए सबसे अच्छी तिथि है। इस तिथि पर ब्रह्मदेव का आधिपत्य है।

तृतीया/तीज – यह बाल कटवाने, नाखून काटने और सिर मुंडवाने के लिए अच्छी तिथि मानी जाती है। इस तिथि पर देवी गौरी का आधिपत्य है।

चौथी/चौथ – यह तिथि शत्रुओं के नाश, बाधाओं को दूर करने के लिए उपयुक्त है। इस तिथि के स्वामी यमदेव और भगवान श्री गणेश हैं।

पंचमी – यह तिथि सर्जरी करवाने और चिकित्सकीय सलाह लेने के लिए सबसे अच्छी है। इस तिथि के देवता नाग हैं।

षष्ठी – यह तिथि विशेष अवसरों या त्योहारों को मनाने, नए लोगों से मिलने और नए दोस्त बनाने के लिए सबसे अच्छी है। इस तिथि के देवता कार्तिकेय हैं।

सप्तमी – सप्तमी तिथि यात्रा शुरू करने, खरीदारी करने के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। अगर आप सप्तमी तिथि के दिन किसी विशेष कार्य के लिए यात्रा कर रहे हैं, तो अच्छे परिणाम मिलने की संभावना अधिक होती है। क्योंकि इस तिथि का स्वामी सूर्य देव हैं।

अष्टमी – यह तिथि विजय दिलाती है। इस दिन भगवान रुद्र की पूजा करना सबसे अच्छा माना जाता है। क्योंकि यह दिन शिव का है। कृष्ण पक्ष में पूजा करना सबसे अच्छा है, जबकि शुक्ल पक्ष में इस तिथि पर शिव पूजा वर्जित है।

नवमी – यह दिन विनाश और हिंसा के कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है। तिथि समारोह या यात्रा के लिए अशुभ है। इस दिन देवी अंबिका का शासन है।

दशमी – दशमी तिथि पुण्य, धार्मिक व आध्यात्मिक व अन्य पवित्र कार्यों के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन के स्वामी धर्मराज माने जाते हैं।

एकादशी – हिंदू व जैन धर्म में खास तौर पर धार्मिक महत्व रखने वाले सबसे शुभ दिनों में से एक, जिसे आमतौर पर उपवास व भगवान की पूजा करके मनाया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस तिथि पर देवों के देव महादेव का शासन है।

द्वादशी – धार्मिक अनुष्ठानों के लिए यह शुभ है। इस तिथि के स्वामी भगवान विष्णु हैं।

त्रयोदशी – यह तिथि मित्र बनाने, इन्द्रिय सुख प्राप्त करने और उत्सव मनाने के लिए सबसे अच्छी है। इस दिन कामदेव का स्वामित्व है।

चतुर्दशी – इस दिन देवी काली का शासन है। यह दिन प्रेत बाधा को दूर करने और सिद्धि प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा है।

पूर्णिमा – यह व्रत और यज्ञ के लिए उपयुक्त तिथि है। इस दिन कथा सुनने और सुनाने से अधिक फल मिलता है। पूर्णिमा तिथि का स्वामित्व चंद्रमा के पास है।

अमावस्या – यह तिथि पितृ-देवताओं की है। इस दिन पितरों की सेवा और दान करने से सबसे अच्छा फल मिलता है। यह तिथि व्रत के लिए भी विशेष है।

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