Top 5+ जादुई मजेदार कहानियां लिखी हुई – Magical Funny Stories In Hindi

जादुई मजेदार कहानियां – बच्चे इन कहानियों को सुनकर बहुत कुछ सीखते हैं, इसलिए उन्हें ये कहानियाँ सुनना और भी मजेदार लगता है। ज्यादातर बच्चों को जादुई कहानियाँ सुनने का ज्यादा शौक होता है। अगर आप भी जादुई कहानियाँ सुनना चाहते हैं, तो हमारे यह लेख अंत तक पढ़े।

जादुई मजेदार कहानियां – Magical Funny Stories In Hindi

1) जादुई सुनहरी मछली

बात एक समय की है, एक जगमगाती झील के झिलमिलाते पानी की गहराई में एक सुनहरी मछली रहा करती थी। उस सुनहरी मछली में किसी भी इच्छा को पूर्ण करने की क्षमता थी। यह एक जादुई मछली थी, और इसमें दुनिया में कुछ भी हासिल करने की शक्ति थी।

एक दिन, एक लालची मछुआरा उस सुनहरी मछली को पकड़ने के लिए झील के किनारे जा पंहुचा। उसने अपना जाल डाला और जल्द ही एक बड़ी मछली पकड़ी। मछली सुनहरी थी, और मछुआरे को तुरंत एहसास हुआ कि यह कुछ खास है।

मछुआरे ने मछली को पकड़ लिया और उससे पूछा, “तुम कौन हो?”

मछली (Fish) ने मछुआरे से कहा, “मैं एक जादुई मछली हूँ, मैं तुम्हारी कोई भी ख्वाहिश, इच्छा पूर्ण कर सकती हूँ।”

मछुआरा यह सुनकर बहुत खुश हुआ, और उसने तुरंत मछली से कहा, “मैं अमीर बनना चाहता हूँ!”

मछली ने कहा, “ऐसा ही होगा।”

मछुआरे की इच्छा पूरी हुई, और वह अचानक एक अमीर आदमी बन गया। उसके पास बहुत सारा पैसा और संपत्ति थी, लेकिन मछुआरा अभी भी संतुष्ट नहीं था। वह और भी अमीर बनना चाहता था।

उसने (मछुआरे ने) मछली से कहा, “मैं राजा बनना चाहता हूँ!”

मछली ने कहा, “ऐसा ही होगा।”

मछुआरे की इच्छा फिर पूरी हुई और वह राजा बन गया। उसके पास एक बहुत बड़ा महल और एक बड़ी सेना थी। लेकिन मछुआरा अभी भी संतुष्ट नहीं था। वह और भी अधिक शक्तिशाली बनना चाहता था।

उसने मछली से कहा, “मैं भगवान बनना चाहता हूँ!”

मछली ने कहा, “तुम बहुत लालची हो। मेरे लिए देवता बनने की इच्छा पूरी करना बहुत मुश्किल है।” लेकिन मछुआरा बहुत जिद्दी था। उसने मछली से कहा, “तुम मेरी इच्छा पूरी करो, नहीं तो मैं तुम्हें मार डालूँगा!”

मछली डर गई। उसने जानबूझकर मछुआरे की इच्छा पूरी की। मछुआरे की इच्छा पूरी हुई और वह देवता बन गया। एक देवता के रूप में, उसने लोगों को बहुत परेशान किया। उसने लोगों को इतना परेशान किया कि कोई भी उसके साथ रहना नहीं चाहता था। धीरे-धीरे सभी ने उसे छोड़ दिया।

मछुआरे के पास अब वह सब कुछ था जो वह चाहता था। लेकिन वह अभी भी खुश नहीं था। वह अब अकेला था। वह अकेला और उदास महसूस करता था। एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया, उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं था, और न ही उसके शारीरिक दर्द को बांटने वाला कोई था। अब उसे एहसास हुआ कि सिर्फ़ पैसा, ताकत और प्रतिष्ठा ही खुशी और स्वास्थ्य नहीं ला सकती।

मछुआरे ने मछली से कहा, “मुझे अपनी गलती का एहसास हो गया है। मुझे माफ़ कर दो।” मछली ने कहा, “मैंने तुम्हें माफ़ कर दिया है, लेकिन मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकती। तुम्हें अपने पापों का प्रायश्चित करना होगा।”

मछुआरे को पता था कि मछली सही कह रही थी। उसने झील के किनारे अपना महल छोड़ दिया और एक साधु बन गया। उसने अपना जीवन दूसरों की सेवा में बिताया।

मछुआरे ने सीखा कि सिर्फ़ संतोष ही सच्चा सुख है, और संतोष हमारे भीतर है।

कहानी से सीख – यह कहानी हमें सिखाती है कि केवल भौतिक संपत्ति ही स्थायी खुशी नहीं ला सकती। सच्ची खुशी संतुष्टि में निहित है। संतुष्टि पाने के लिए हमें अपने अहंकार और लालच पर काबू पाना होगा। हमें दूसरों की सेवा करनी चाहिए और दूसरों के प्रति दयालु होना चाहिए।

2) जादुई बीज

एक बार की बात है, एक बंजर भूमि में एक गरीब किसान रहता था। किसान का नाम राम था। वह बहुत मेहनती और दयालु था। वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहता था।

एक दिन, राम अपने खेत में काम कर रहा था, तभी उसे एक जादुई बीज मिला। बीज बहुत सुंदर और चमकदार था। राम ने कभी कोई जादुई बीज नहीं देखा था। वह बहुत खुश था। उसने सोचा कि यह बीज उसे बहुत भाग्यशाली बना देगा।

राम बीज को अपने घर ले आया और उसे मिट्टी और पानी के साथ एक गमले में डाल दिया। बीज जल्द ही अंकुरित हो गया और एक छोटा पौधा बन गया। राम ने पौधे को बड़े प्यार और देखभाल से पाला।

कुछ ही महीनों में, पौधा एक बड़ा और सुंदर पेड़ बन गया। पेड़ पर बहुत ही स्वादिष्ट और सुन्दर फल लगे। राम फलों को देखकर बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि वह इन फलों का उपयोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए करेगा।

राम ने उस जादुई बीज से कई पौधे लगाए और उनके फल बेचने लगा। वह जल्द ही एक बहुत बड़ा फल विक्रेता बन गया। राम बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि अब वह बहुत अमीर और शक्तिशाली बन जाएगा।

राम ने अपने जादुई बीज को अपने पास रखना शुरू कर दिया। उसने इसके बारे में किसी और को नहीं बताया। उसे लगा कि यह बीज केवल उसका है, अब वह बहुत अमीर हो गया था।

एक दिन, राम जंगल में घूम रहा था। तभी उसे एक भूखा-प्यासा बच्चा रोता हुआ मिला। राम ने बच्चे को देखा और उसके पास गया। वह बच्चे को अपने घर ले आया और उसे खाना – पानी दिया।

बच्चे ने घर पहुँचकर अपने माता-पिता को राम के बारे में बताया। बच्चे के माता-पिता राम के पास आए और उसका धन्यवाद किया। उन्होंने राम से कहा कि वह बहुत दयालु है।

बच्चे के माता-पिता की बातें सुनकर राम को बहुत खुशी हुई। उसने सोचा कि वह अपने जादुई बीज का उपयोग दूसरों की मदद करने के लिए करेगा।

राम ने अपने जादुई बीज का उपयोग करके अपने गाँव में एक बगीचा लगाया। बगीचे में बहुत ही स्वादिष्ट और सुन्दर फल थे। राम ने इन फलों को जरूरतमंद लोगों में बाँट दिया। गाँव की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी।

राम के दयालु कार्य से गाँव में खुशियाँ फैल गईं। लोग राम से बहुत प्यार करने लगे। राम को भी उसके कार्यों से बहुत खुशी मिली।

एक दिन एक ऋषि से राम की मुलाक़ात हुई। ऋषि ने राम से कहा, “तुम एक महान व्यक्ति हो, तुमने दयालु कार्यों से दुनिया बदल दी है।”

राम ऋषि की बातों से बहुत खुश हुए। उन्होंने सोचा कि वह अपने जीवन में हमेशा दूसरों की मदद करेंगे।

कहानी से सीख – यह कहानी हमें दया और करुणा की शक्ति सिखाती है। दया और करुणा से हम दुनिया को बेहतर बना सकते हैं। हमें हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए।

3) बात करने वाले पेड़

एक बार की बात है, एक घने जंगल में, पेड़ों में एक दूसरे से संवाद करने या बात करने की क्षमता थी। वे एक दूसरे के साथ अपने विचार और भावनाएँ साझा कर सकते थे। पेड़ एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे। वे एक साथ खेलते थे, एक साथ गाते थे और एक साथ खुश रहते थे।

एक दिन, एक भयानक तूफान आया। तूफान बहुत शक्तिशाली था। हवा बहुत तेज़ चल रही थी और बारिश बहुत तेज़ हो रही थी। पेड़ तूफान से बहुत डर गए। उन्होंने एक दूसरे से कहा, “हम तूफान से कैसे बचेंगे?”

तब एक बुद्धिमान पेड़ ने कहा, “अब हम सब को एकजुट होना होगा। अगर हम साथ खड़े रहे, तो हम तूफान से बच सकते हैं।”

पेड़ों ने बुद्धिमान पेड़ की बात मान ली। वे एक साथ खड़े हो गए और एक अटूट बंधन बना लिया। तूफान का प्रकोप पेड़ों को हिलाने लगा, लेकिन पेड़ एक-दूसरे को कसकर पकड़े खड़े रहे।

तूफान काफी देर तक चला। लेकिन अंत में, तूफान थक गया और चला गया। पेड़ों ने एक-दूसरे को देखा और कहा, “हमने एक साथ मिलकर तूफान को हरा दिया है। पेड़ बहुत खुश थे। उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया और साथ मिलकर जश्न मनाया।

कहानी से सीख – यह कहानी हमें एकता और सहयोग के महत्व की याद दिलाती है। जब हम एक साथ खड़े होते हैं, तो हम किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।

4) बुढ़िया की जादुई चम्मच

एक छोटा सा गाँव था, उस गाँव के सभी लोग खेती करके अपना जीवन यापन करते थे लेकिन खाने के लिए कोई होटल नहीं था, जिसकी वजह से लोगों को खान खाने के लिए शहर जाना पड़ता था, जिसकी वजह से उनके आने-जाने में बहुत पैसा खर्च हो जाता था।

लेकिन इस गाँव में कई लोगों ने ढाबा खोलने के बारे में सोचा लेकिन वे सभी असफल रहे, क्योंकि वे सभी उधार पर खाना खाते थे और कभी उधार नहीं चुका पाते थे, गरीबी के कारण, इसीलिए कोई भी ढाबा नहीं चला पाता था। इसलिए वहाँ कोई ढाबा नहीं खुला।

उसी गांव में एक बूढ़ी औरत रहती थी, उस बूढ़ी औरत ने सोचा कि मैं यहाँ सबको खाना खिलाऊँगी, इसलिए उसने अपनी सारी गायें और भैंसें बेच दीं और वहाँ एक ढाबा खोल दिया।

अब वंहा जो जाता, उधारी रखता था। अम्मा किसी को कुछ नहीं कहती थी। एक बार एक बहुत भूखा आदमी वहाँ आया और बोला कि मुझे कुछ खाना है लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं। वह सच में बहुत भूखा था।

उसने कहा ठीक है तुम खा सकते हो और अगर तुम पैसे नहीं दोगे तो कोई बात नहीं। फिर उसने खाना खाया और उसके पास एक चम्मच था, जो उसने खाने के बदले में बूढ़ी माँ को दे दिया।

बुढ़िया को नहीं पता था कि वह आदमी रूप बदलकर आया है और उसने जो चम्मच दिया है, वह जादुई चम्मच है। अब जैसे ही वह चम्मच से बर्तन से कोई भी सब्जी निकालती तो सब्जी खाली नहीं होती और बर्तन भरा का भरा रहता था।

इस वजह से बुढ़िया का खाना खत्म नहीं होता और वह खूब पैसे कमाती थी। इस तरह जादुई चम्मच की वजह से बुढ़िया खूब पैसे कमाती है और उसका ज्यादातर खाना खत्म नहीं होता है।

5) बोलने वाला गधा

एक बार की बात है, गांव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। रामू के पास एक ईमानदार और मेहनती गधा था, जिसका नाम उसने शेरू रखा था। शेरू हर काम में रामू की मदद करता था और फिर हमेशा एक वफादार साथी की तरह उसके साथ रहता था।

एक दिन जब रामू देर रात अपने खेत में काम कर रहा था, तो चरते-चरते शेरू बहुत दूर निकल जाता है और वहां एक पेड़ के नीचे कुछ परियों को मस्ती करते हुए देखता है। शेरू परियों का खूब मनोरंजन करता है, जिससे परियां खुश हो जाती हैं और शेरू को तोहफे में जादुई शक्तियां देने का फैसला करती हैं।

जादुई परी शेरू को बोलने की शक्ति देती है, जिससे वह इंसानों की तरह बोलने लगता है। जब वह वापस रामू के पास जाता है और उसे इंसानों की आवाज में पुकारता है, तो रामू पहले इधर-उधर देखता है और फिर उसे लगता है कि यहां कोई काला जादू कर रहा है, इसलिए वह जल्दी से घर की तरफ भागने लगता है।

वह शेरू को भी अपने साथ ले जाता है। रास्ते में चलते हुए वह देखता है कि शेरू उससे बात कर रहा है, वह दंग रह जाता है और अपना आपा खो देता है। फिर काफी देर बाद जब रामू शांत होता है तो शेरू उसे बताता है कि उसे यह आवाज कैसे मिली।

कुछ ही दिनों में शेरू दूर-दूर तक मशहूर हो जाता है और उसे मिला यह वरदान अब नुकसानदेह हो जाता है।

लोग दूर-दूर से गधे को देखने और उससे बात करने आते हैं। रामू और शेरू की प्रसिद्धि देखकर आस-पास के लोग ईर्ष्या करने लगते हैं और कुछ लोग रात में शेरू को चुराने की कोशिश भी करते हैं।

कई दिनों तक रामू शेरू का ख्याल रखने की कोशिश करता है लेकिन वह समझ जाता है कि शेरू अब इतना मशहूर हो चुका है कि वह चाहकर भी उसका ख्याल नहीं रख सकता। फिर वह वापस उस पेड़ के पास जाता है जहां उसे परी मिली थी और परियों से अपना जादू वापस लेने का अनुरोध करता है।

यह सुनकर परियां निराश हो जाती हैं और फिर वह शेरू की शक्ति बदल देती हैं और कहती हैं कि मैं तुम्हें ऐसी शक्ति देती हूं कि सिर्फ तुम ही शेरू की आवाज समझ पाओगे और दूसरों को ऐसा लगेगा कि कोई गधा बोल रहा है।

कहानी से सिख – दिखावे के चक्कर में हम वो बातें सबको बताने लगते हैं जिन्हें हमें छिपाकर रखना चाहिए। जब हमें जीवन में कुछ मूल्यवान मिले तो हमें उसे शांतिपूर्वक स्वीकार कर लेना चाहिए, न कि उसका ढ़िढोरा पीटना चाहिए।

6) जादुई कालीन

एक बार की बात है श्याम नाम का एक लड़का रहता था। वह एक बुनकर था और बहुत सुंदर कालीन बनाया करता था। एक दिन उसे कालीन के धागे में छिपा हुआ एक जिन्न मिलता है और श्याम उसे आज़ाद कर देता है।

जिन्न श्याम की तीन इच्छाएँ पूरी करने का वादा करता है और कहता है कि तुम जो चाहो मांग सकते हो, लेकिन मैं सिर्फ़ तीन इच्छाएँ पूरी कर सकता हूँ।

श्याम जिन्न से उड़ने वाला कालीन माँगता है और उस पर बैठकर अपने परिवार के साथ पूरी दुनिया की सैर पर निकल जाता है और खूब मौज-मस्ती करता है।

दूसरी इच्छा में श्याम जिन्न से बहुत सारा पैसा माँगता है। जिन्न उसे बहुत सारा पैसा देता है।

जैसे-जैसे श्याम के पास पैसा और घूमने की क्षमता बढ़ती जाती है, वह देखता है कि दुनिया में कितने बुरे लोग हैं और वह अपनी नौकरी छोड़ देता है। वह अपने सभी प्रियजनों से दूरी बनाने लगता है क्योंकि उसे हर दिन यात्रा करनी पड़ती है और वह अपना पैसा खर्च करने के लिए अलग-अलग जगहों पर जाता है।

जब बहुत समय बीत जाता है, तो श्याम को एहसास होता है कि जब उसके पास बहुत कम पैसे और बहुत कम संसाधन थे, तब वह बहुत खुश था। वह अपने परिवार के साथ था। लेकिन जब से उसके पास पैसा आया है, वह सभी से दूर हो गया है और बुरे कामों में लिप्त हो गया है।

परेशान होकर श्याम जिन्न से अपनी तीसरी इच्छा पूछता है और कहता है कि मेरी तीसरी इच्छा है कि सब कुछ पहले जैसा हो जाए। मुझे अपनी पुरानी ज़िंदगी सबसे ज़्यादा प्यारी है।

कहानी से सीख – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारे पास जो कुछ भी है, वही काफी है। कई बार हम बेवजह धन-दौलत के पीछे भागते हैं और अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर लेते हैं।

7) जादुई कुल्हाड़ी

एक बार की बात है, एक गाँव में गोपाल नाम का एक गरीब लकड़हारा रहता था। गोपाल बहुत मेहनती था और सबकी मदद करता था। लेकिन वह बहुत कम पैसे कमाता था, जिसके कारण उसकी पत्नी हमेशा उससे नाराज़ रहती थी।

अपनी पत्नी को खुश करने के लिए गोपाल देर रात तक काम करता था और जंगल से लकड़ियाँ काटकर शहर में बेचता था। एक दिन गोपाल को लकड़ियाँ काटते-काटते बहुत देर हो गई और वह जंगल में रास्ता भटक गया।

जब वह जंगल के बीच पहुँचा तो उसे एक साधु मिला जो भगवान का नाम जप रहा था। गोपाल जैसे ही साधु के पास गया, साधु ने गोपाल से कहा – तुम आ गए गोपाल, मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था। मुझे बहुत भूख लगी है, मुझे वह खाना दे दो जो तुम्हारी पत्नी ने दिया है?

साधु की बातें सुनकर गोपाल चौंक जाता है और अपना सारा खाना साधु को दे देता है।खाना खाने के बाद साधु गोपाल को धन्यवाद देता है और कहता है कि मैंने तुम्हारा खाना खा लिया, अब तुम क्या खाओगे?

गोपाल कहता है कि बाबा मैं बाद में खा लूंगा, मेरी चिंता मत करो, बस मुझे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता बताओ।

साधु गोपाल से कहता है कि मुझे तुम्हारा खाना खाने में मजा आया, इसलिए मैं तुम्हें एक कुल्हाड़ी भेंट करना चाहता हूं। यह कुल्हाड़ी कोई साधारण कुल्हाड़ी नहीं है। यह एक चमत्कारी कुल्हाड़ी है, इससे तुम्हारा घंटों का काम बहुत कम समय में हो जाएगा। तुम यह कुल्हाड़ी ले लो, यह तुम्हें रास्ता दिखाएगी और जंगल से बाहर ले जाएगी।

पहले तो गोपाल ने साधु से कुल्हाड़ी लेने से मना कर दिया, लेकिन जब साधु ने जोर दिया, तो गोपाल मना नहीं कर सका।

अगले दिन जब गोपाल लकड़ी काटने गया, तो उसने देखा कि पूरा पेड़ एक ही बार में कट गया था और लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े हो गए थे, जो काम गोपाल 4 दिन में कर सकता था, वह अब सिर्फ 1 घंटे में हो जाता था।

अब गोपाल शहर जाकर चार गुना ज्यादा लकड़ियां बेचता और मुनाफा भी बढ़ता। जल्द ही गोपाल की कुल्हाड़ी पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गई।

एक दिन गांव के मुखिया ने गोपाल को बुलाया और कहा कि गांव और शहर के बीच एक जंगल है, तुम्हें उसके बीच से एक सड़क बना देनी चाहिए, ताकि गांव वालों को फायदा हो सके।

गोपाल ने मुखिया की बात मानकर वैसा ही किया और कुछ ही दिनों में सड़क बन गई और गोपाल सारी लकड़ी बेचकर अमीर हो गया और गांव वालों को सड़क मिल गई जिसकी वजह से वह पूरे गांव का हीरो बन गया। अब वह खुशी-खुशी अपनी जिंदगी बिताता है।

कहानी से सीख – जब हमें कोई शक्ति या जिम्मेदारी मिलती है तो हमें उसका इस्तेमाल अपने लिए न करके सबकी भलाई के लिए करना चाहिए।

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